आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का पांचवां दिन मां दुर्गा के पंचम स्वरूप मां स्कंदमाता की उपासना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं, जिन्होंने राक्षसों से देवताओं की रक्षा के लिए युद्ध किया था। इस दिन मां स्कंदमाता की पूजा विशेष रूप से संतान सुख, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक जागरण के लिए की जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब राक्षसों के आतंक से त्रस्त होकर देवताओं ने भगवान शिव से सहायता मांगी, तब मां पार्वती ने एक तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। यह पुत्र स्कंद या कार्तिकेय कहलाया। बचपन से ही भगवान स्कंद युद्ध कौशल में निपुण थे और उन्होंने ताड़का, तारकासुर जैसे राक्षसों का संहार कर देवताओं को उनके स्थान पर पुनः स्थापित किया।
मां स्कंदमाता, जो स्वयं देवी पार्वती का ही रूप हैं, अपने पुत्र को गोद में लेकर सिंह पर सवार होती हैं। उनका स्वरूप नारी शक्ति, मातृत्व और साहस का प्रतीक है।
मां स्कंदमाता की उपासना से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान की लंबी आयु की कामना पूरी होती है। वे भक्तों को निर्भयता, साहस और मानसिक स्थिरता प्रदान करती हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, उनकी कृपा से साधक को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों मार्गों में सफलता मिलती है।