आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। यह दिन साधकों और भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है, खासकर उन कन्याओं के लिए जो उत्तम वर की प्राप्ति की कामना करती हैं। मां कात्यायनी को शक्ति, विजय और सौंदर्य की देवी माना जाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।
मां कात्यायनी की उत्पत्ति की कथा पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है। महर्षि कात्यायन, जो एक महान ऋषि थे, उन्होंने देवी भगवती को पुत्री रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया। कात्यायन ऋषि ने आश्विन शुक्ल सप्तमी से नवमी तक उस कन्या की पूजा की और दशमी के दिन देवी ने महिषासुर का वध कर समस्त देवताओं को भयमुक्त किया। तब से ही वह कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हुईं।
मां कात्यायनी की कृपा से जीवन में विजय, ऐश्वर्य, शक्ति और तेज की प्राप्ति होती है। इस दिन की पूजा विशेष रूप से संतान प्राप्ति, विवाह के योग और सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने में सहायक मानी जाती है।
वीर हनुमाना अति बलवाना,
राम नाम रसियो रे,
छम छम नाचे देखो वीर हनुमाना, वीर हनुमाना राम का दीवाना,
सुग्रीव बोले वानरों तत्काल तुम जाओ
श्री जानकी मैया का पता मिलके लगाओ
विधाता तू हमारा है,
तू ही विज्ञान दाता है ।