Logo

मां कात्यायनी की पूजा विधि और कथा

मां कात्यायनी की पूजा विधि और कथा

Ashadha Gupt Navratri Day 6: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, जानिए सम्पूर्ण विधि और पौराणिक कथा

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की आराधना की जाती है। यह दिन साधकों और भक्तों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है, खासकर उन कन्याओं के लिए जो उत्तम वर की प्राप्ति की कामना करती हैं। मां कात्यायनी को शक्ति, विजय और सौंदर्य की देवी माना जाता है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करती हैं।

मां कात्यायनी को भोग में अर्पित करें शहद 

  • आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के छठे दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले वस्त्र धारण करें, जो मां कात्यायनी को अत्यंत प्रिय है। 
  • पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और इसके बाद घी का दीपक जलाएं। 
  • मां को रोली, अक्षत, हल्दी, धूप, पीले फूल और भोग अर्पित करें। विशेष रूप से मां को शहद बहुत प्रिय है, इसलिए शहद या उससे बनी मिठाई का भोग लगाना शुभ फलदायक माना जाता है। 
  • इसके बाद दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। साथ ही, मां कात्यायनी के ‘ॐ कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥’ मंत्र का जाप 108 बार करना विशेष फलदायी होता है:
  • मंत्र जाप के बाद आरती करें और सभी उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित करें। 

मां कात्यायनी की कथा

मां कात्यायनी की उत्पत्ति की कथा पौराणिक ग्रंथों में वर्णित है। महर्षि कात्यायन, जो एक महान ऋषि थे, उन्होंने देवी भगवती को पुत्री रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप किया। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया। कात्यायन ऋषि ने आश्विन शुक्ल सप्तमी से नवमी तक उस कन्या की पूजा की और दशमी के दिन देवी ने महिषासुर का वध कर समस्त देवताओं को भयमुक्त किया। तब से ही वह कात्यायनी नाम से प्रसिद्ध हुईं।

मां कात्यायनी की कृपा से बनते है विवाह के योग

मां कात्यायनी की कृपा से जीवन में विजय, ऐश्वर्य, शक्ति और तेज की प्राप्ति होती है। इस दिन की पूजा विशेष रूप से संतान प्राप्ति, विवाह के योग और सभी प्रकार की बाधाओं को दूर करने में सहायक मानी जाती है।

........................................................................................................
यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang