नवीनतम लेख
नवरात्रि मतलब देवी आराधना के नौ पवित्र दिन। इन नौ दिनों तक भक्त मैया की आराधना करते हैं और आखिरी में मैय्या रानी की प्रतिमा का विसर्जन करते हैं। इस दौरान ज्योत विसर्जन, ज्वारे विसर्जन भी किया जाता है। साथ ही नवरात्रि व्रत पारण के बाद माता की आराधना संपन्न की जाती है। लेकिन इन सभी के अपने तरीके और विशेष नियम है। भक्त वत्सल के इस लेख में जानिए मैय्या रानी की प्रतिमा का विसर्जन करने, ज्योत विसर्जन, ज्वारे विसर्जन करने के साथ नवरात्रि व्रत पारण की विधि और नियम। इस लेख में आप यह भी जानेंगे की नवरात्रि के बाद माता की आराधना कैसे संपन्न करें।
नौ दिनों तक धूमधाम से पूरे देश में नवरात्रि मनाई जाती है और फिर चल समारोह और भव्य चल समारोह निकालकर माता का विसर्जन किया जाता है, लेकिन इससे पहले माता की विशेष पूजा-अर्चना विधि पूर्वक करना बहुत जरूरी है।
ज्वारों को माथे पर रखकर नदी या तालाब तक लेकर जाएं लेकिन विसर्जन के समय ज्वारों को फेंकना नही चाहिए। उनको सभी को बांट देना चाहिए। चाहें तो उनमें से कुछ ज्वारों का विसर्जन कर दें। बाकी अपने पूजा घर, तिजोरी या अनाज भण्डार में लाल कपड़े के साथ बांध कर रख दें। इससे धन, धान्य, सुख और समृद्धि आती है। आप चाहें तो इनका सेवन कर सकते हैं। इससे ज्वारों में व्याप्त शक्ति हमारे भीतर प्रवेश करती है।
नवरात्रि के समापन के दौरान ज्योत विसर्जन के दौरान ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करें। व्रत-पूजा का संकल्प लें। मुहूर्त के हिसाब से देवी मां की विधिवत पूजा करें। फिर मैया की प्रतिमा और ज्योत सहित स्वच्छ जलाशय तक जाएं और प्रतिमा और ज्योत का पूजन कर उनका विसर्जन करें।
नवरात्रि में नौ दिनों तक चल रहे दुर्गा सप्तशती पाठ के समापन के बाद हवन 11 अक्टूबर को पूरे दिन और 12 अक्टूबर को सुबह 05:47 बजे तक कर सकते हैं। 12 अक्टूबर को सुबह 05:47 तक नवमी तिथि है और इसके बाद दशमी लगेगी। पूर्ण नवरात्रि व्रत का पारण 12 अक्टूबर को विजयादशमी के दिन किया जाना चाहिए। विजयादशमी के दिन ही श्रवण नक्षत्र में मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन भी करना उत्तम है।
व्रत का पारण 12 अक्टूबर को सुबह 05:47 के बाद कर सकते हैं। क्योंकि इसके बाद दशमी तिथि लग जाएगी।
नवरात्रि व्रत का पूर्ण पारण दशमी तिथि को करें।
मैया के प्रसाद से ही व्रत का पारण करें ।
अष्टमी और नवमी को व्रत रखने वाले लोगों को व्रत पारण कर कन्या पूजन के बाद ही व्रत खोलना चाहिए।
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा तभी पूर्ण होती हैं जब नवमी को हवन किया जाता है। नवरात्रि पूजन में नवमी को किया जाने वाला हवन एक महत्वपूर्ण पूजन है । मान्यता है कि नवरात्रि की नवमी तिथि के दिन हवन पूजन करने से मां दुर्गा अति प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
एक सूखा गोला, लाल कलावा, एक हवन कुंड, आम की सूखी लकड़ियां, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलैठी की जड़, चंदन की लकड़ी, बेल, नीम, पीपल का तना और छाल, गूलर की छाल और पलाश भी शामिल करें। चावल, कपूर, काले तिल, आहुति देने के लिए गाय का शुद्ध घी, गुग्गुल, इलायची, लौंग आदि शामिल हैं।
मंत्र के बाद देवी की आरती करें और फिर प्रणाम कर कामना सिद्ध करने की प्रार्थना करते हुए प्रणाम कर आरती प्रसाद ग्रहण करें। बोलिए जगतजननी महारानी मैया अम्बे की जय।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।