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नाग पंचमी एक पारंपरिक हिंदू त्योहार है जो भारत, नेपाल और हिंदू आबादी वाले अन्य दक्षिण एशियाई देशों में मनाया जाता है। यह पर्व सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है, जो आमतौर पर जुलाई या अगस्त में आती है। नाग पंचमी का त्योहार सांपों के प्रति सम्मान और पूजा का प्रतीक है। इस दिन विशेष रूप से नाग देवता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि नाग पंचमी की पूजा से भगवान शंकर प्रसन्न होते हैं और व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से जीवन के सभी दुख और कष्ट से छुटकारा मिलता है, साथ ही कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता को दूध चढ़ाने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा बनी रहती है. भक्तवत्सल के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे नागपंचमी का इतिहास और इससे जुड़ी पौराणिक कथाओं को विस्तार से….
नाग पंचमी मनाने के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं। लेकिन महाभारत और पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, महाभारत युद्ध के बाद पांडवों ने अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित को राजा बना दिया और खुद स्वर्ग की यात्रा पर निकल गए थे। पांडवों के बाद धरती पर कलयुग का आगमन हो गया था। राजा परीक्षित की मृत्यु नाग देव के डसने से हुई थी। परीक्षित का पुत्र जनमेजय बड़ा हुआ तो उसने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए पृथ्वी के सभी नागों को मारने के लिए नागदाह यज्ञ किया। इस यज्ञ में पूरी पृथ्वी के नाग आकर जलने लगे। जब ये बात आस्तिक मुनि को मालूम हुई तो वे तुरंत राजा जनमेजय के पास पहुंचे। आस्तिक मुनि ने राजा जनमेजय को समझाया और ये यज्ञ रुकवाया। जिस दिन ये घटना घटी, उस दिन सावन शुक्ल पक्ष की पंचमी थी। उस दिन आस्तिक मुनि के कारण नागों की रक्षा हो गई। इसके बाद से नाग पंचमी पर्व मनाने की शुरुआत हुई। यज्ञ की आग को ठंडा करने के लिए आस्तिक मुनि ने उसमें दूध डाल दिया था। इस मान्यता की वजह से नाग पंचमी पर नाग देव को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई है।
नाग पंचमी के दिन, भक्त नाग देवता की पूजा करने के लिए नाग मंदिरों में जाते हैं, इसके अलावा कुछ लोग अपने घर में सर्प देवता की पूजा करते हैं और उन पर दूध और फूल चढ़ाते हैं। इस त्योहार के दिन, लोग सांपों की पूजा कर उनके प्रति सम्मान दर्शाते हैं। लोक मान्यता के अनुसार इस दिन घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से नाग देवता की आकृति बनाई जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर में शुभता आती है और घर में कभी नाग भय नहीं रहता। चूंकि, नाग देवता महादेव के गले का श्रृंगार हैं इसलिए इस दिन नाग देवता के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा भी की जाती है। माना जाता है कि नागपंचमी के दिन नाग देवता के साथ शिव शक्ति की पूजा करने से घर में समृद्धि बनी रहती।
इस साल नागपंचमी 9 अगस्त को मनाई जा रही है। पंचमी तिथि 09 अगस्त 2024 को सुबह 05:47 से 08:26 तक रहेगी। इसके अलावा 9 अगस्त को प्रदोष काल में शाम 6:33 मिनट से लेकर रात 8:20 बजे तक नाग देवता की पूजा कर सकते हैं।
भविष्य पुराण के अनुसार नागपंचमी पर नौ नागों की पूजा का विधान है। जिनके नाम हैं...
भारत में नागों के कई पवित्र मंदिर हैं, जहां नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा और उत्सव मनाया जाता है। कुछ प्रमुख मंदिरों के नाम यहां दिए गए हैं:
1. नागेश्वर मंदिर, गुजरात - यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और नागों के देवता नागेश्वर को समर्पित है।
2. शेषनाग मंदिर, उत्तर प्रदेश - यह मंदिर भगवान विष्णु के शेषनाग स्वरूप को समर्पित है।
3. नागचंद्रेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश - यह मंदिर भगवान शिव के नागचंद्रेश्वर स्वरूप को समर्पित है।
4. कालिया नाग मंदिर, उत्तर प्रदेश - यह मंदिर भगवान कृष्ण के कालिया नाग स्वरूप को समर्पित है।
5. नागद्वार मंदिर, मध्य प्रदेश - यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार सावन महीने में 10 दिनों के लिए खुलता है।
6. श्री नागनाथ मंदिर, महाराष्ट्र - यह मंदिर भगवान शिव के नागनाथ स्वरूप को समर्पित है।
7. नागेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु - यह मंदिर भगवान शिव और नाग देवता को समर्पित है।
नाग पंचमी का त्योहार सांपों के प्रति सम्मान और पूजा का प्रतीक है। यह त्योहार हमें सांपों के प्रति डर और नफरत को दूर करने के लिए प्रेरित करता है और हमें उनके प्रति सम्मान और पूजा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। हिंदू धर्म में पड़ने वाले सभी त्योहारों के इतिहास और उनसे जुड़ी सभी जानकारी के लिए बने रहिए हमारी वेबसाइट भक्तवत्सल के साथ।
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