Logo

हरियाली अमावस्या : पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने और पर्यावरण संरक्षण का अनोखा पर्व

हरियाली अमावस्या : पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने और पर्यावरण संरक्षण का अनोखा पर्व

आज 4 अगस्त यानी रविवार को हरियाली अमावस्या है, ये तिथि भगवान शिव को समर्पित श्रावण मास की एक विशेष तिथि है जो हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। माना जाता है कि साल के इस समय धरती हरियाली की चादर से ढक जाती है इसलिए श्रावण अमावस्या को हरियाली का त्यौहार कहा जाता है। हरियाली अमावस्या का धार्मिक महत्व अनेक पुराणों और शास्त्रों में वर्णित है। यह दिन पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक क्रियाओं जैसे अपने पितरों को याद करना और उनके आशीर्वाद लेने का प्रतीक है। भक्तवत्सल के इस आर्टिकल में जानते हैं कि आखिर क्या है हरियालाी अमावस्या का महत्व और इस दिन पितरों की पूजा किस प्रकार करना चाहिए….


ऐसे मिलेगा पितरों का आशीर्वाद : 

हरियाली अमावस्या का दिन विशेष रूप से पितरों के तर्पण और पिंडदान के लिए महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन आप पितरों के नाम से तर्पण करें और पिंडदान करें। यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक प्रथा है जो पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करती है।


इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। आप अनाज, वस्त्र, और पैसे दान कर सकते हैं।


घर में विशेष पूजा और हवन का आयोजन करें। इसमें पितरों को समर्पित वस्तुएँ और सामग्री का प्रयोग करें, जैसे जौं, तिल और जल।


सूर्यास्त होने के बाद अंधेरा होते समय अपने पितरों के लिए दीपक जलाएं।


विशेष पकवान बनाकर पितरों को भोग अर्पित करें। यह भोग घर के पवित्र स्थान पर रखें और ध्यानपूर्वक उनके लिए अर्पित करें।


किन पेड़-पौधों का है महत्व : 

अमावस्या के दिन तुलसी पूजन का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन तुलसी माता को लाल चुनरी अर्पित करें। इसके साथ तुलसी में कच्चा दूध अर्पित करें और शाम के समय तुलसी के पास घी का दीपक जलाकर परिक्रमा करें। अमावस्या तिथि पर एक पीले धागे में 108 गांठ लगाकर उसे तुलसी के गमले में बांध सकते हैं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। तुलसी के पौधे के आलावा हरियाली अमावस्या तिथि पर पीपल के पेड़ की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस वृक्ष में देवताओं का वास होता है। ऐसे में यदि आप अमावस्या पर पीपल के पेड़ की पूजा कर उसमें जल अर्पित करते हैं, तो इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। केले के पेड़ में भगवान विष्णु और बृहस्पति का निवास स्थान माना जाता है। केले के पेड़ को भगवान विष्णु की पूजा के लिए अच्छा माना जाता है तो वहीं देवताओं के गुरु बृहस्पति की पूजा में केले का पूजन करना आवश्यक माना जाता है। इसलिए हरियाली अमावस्या के मौके पर केले का पेड़ लगाना शुभ होता है।


अमावस्या के साथ ही बन रहा दुर्लभ योग : 

इस दिन सुबह से ही शिववास योग बन रहा है। इस योग के दौरान भगवान शिव माता गौरी के साथ रहते हैं। इस योग में शिव-पार्वती की पूजा करने से अत्यंत शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही रविवार के दिन हरियाली अमावस्या होने के कारण रवि पुष्य योग का निर्माण भी हो रहा है, क्योंकि इस दिन पुष्य नक्षत्र रहेगा। यह योग दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही दोपहर 1 बजकर 26 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग भी अमावस्या तिथि के दिन रहेगा। 

........................................................................................................
जग में सुन्दर है दो नाम(Jag Main Sundar Hain Do Naam)

जग में सुन्दर हैं दो नाम,
चाहे कृष्ण कहो या राम ।

जगदीश ज्ञान दाता(Jagadish Gyan Data: Prarthana)

जगदीश ज्ञान दाता, सुख मूल शोकहारी
भगवन् ! तुम्हीं सदा हो, निष्पक्ष न्यायकारी ॥

जगत के रंग क्या देखूं (Jagat Ke Rang Kya Dekhun)

जगत के रंग क्या देखूं,
तेरा दीदार काफी है ।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang