Logo

हरियाली तीज पर बेटी के ससुराल सिंधारा भेजने का महत्व

हरियाली तीज पर बेटी के ससुराल सिंधारा भेजने का महत्व

Hariyali Teej 2025: हरियाली तीज पर क्यों भेजते हैं बेटी के ससुराल सिंधारा, जानिए इसका धार्मिक महत्व 

हरियाली तीज का पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत में बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व शिव-पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है और विवाहित स्त्रियों के लिए अत्यंत पावन अवसर होता है। इस दिन महिलाएं सौभाग्य, पति की लंबी उम्र और पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए व्रत करती हैं। लेकिन हरियाली तीज की एक विशेष परंपरा है जिसे ‘सिंदारा भेजना’ कहा जाता है। यह परंपरा मायके द्वारा बेटी को भेजे जाने वाले उपहारों से जुड़ी होती है, जिसका धार्मिक और सांस्कृतिक दोनों रूपों में विशेष महत्व है।

क्या होता है सिंधारा

सिंदारा, जिसे मायके से बेटी के लिए भेजा जाने वाला उपहार-संयोग कहा जाता है, में वस्त्र, चूड़ियां, गहने, मेहंदी, मिठाई (विशेषकर घेवर), श्रृंगार का सामान और कई बार नकदी भी शामिल होती है। यह न केवल एक उपहार है, बल्कि माता-पिता के स्नेह, आशीर्वाद और अपनी बेटी के जीवन में खुशहाली की कामना का प्रतीक है।

सिंधारा भेजने का धार्मिक महत्व

  • हरियाली तीज पर बेटी को मायके से भेजा गया सिंधारा केवल भौतिक वस्तुओं का संग्रह नहीं होता, यह एक प्रकार का आध्यात्मिक आशीर्वाद होता है। इसे माता-पिता की तरफ से बेटी के सुख, स्वास्थ्य और सौभाग्य की प्रार्थना माना जाता है।
  • विवाह के बाद बेटियां अपने ससुराल में चली जाती हैं, पर यह परंपरा उन्हें उनके मायके से जुड़े रहने का भाव देती है। सिंधारा दर्शाता है कि चाहे वह किसी और घर की सदस्य बन चुकी हो, पर वह अपने माता-पिता के दिल में हमेशा रहती है।

सिंधारा भेजने की परंपरा

हरियाली तीज के अवसर पर विवाहित बेटियों के ससुराल सिंधारा भेजना एक अत्यंत शुभ और हर्षोल्लास से भरा कार्य होता है। परंपरागत रूप से यह जिम्मेदारी बेटी की मां निभाती हैं। सिंधारा में सबसे विशेष मिठाई होती है घेवर, जो खासतौर पर इस त्योहार पर तैयार की जाती है। इसके साथ ही रंग-बिरंगे कपड़े, हरे चूड़ियां, मेहंदी, बिंदी, बिछुए, पायल, काजल, इत्र और कभी-कभी नकद राशि भी दी जाती है।

........................................................................................................
श्री सरस्वती स्तोत्रम् | वाणी स्तवनं (Shri Sarasvati Storam I Vanii Stavann

कृपां कुरु जगन्मातर्मामेवंहततेजसम्।

शिव चन्द्रशेखर अष्टक स्तोत्र (Shiv Chandrashekhar Ashtak Stotr)

चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर चन्द्रशेखर पाहि माम ।

श्री हरि स्तोत्रम् (Sri Hari Stotram)

जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालंशरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं

परमेश्वर स्तुति स्तोत्रम् (Parameshvar Stuti Stotram)

त्वमेकः शुद्धोऽसि त्वयि निगमबाह्या मलमयं

संबंधित लेख

HomeBook PoojaBook PoojaTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang