हरियाली तीज 2025 में रविवार, 27 जुलाई को मनाई जाएगी। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत के राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्यतः महिलाओं द्वारा मनाया जाता है और सावन महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आता है।
यह पर्व देवी पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने 108 बार जन्म लिया था ताकि वे भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त कर सकें। उनकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसी उपलक्ष्य में हरियाली तीज का त्योहार मनाया जाता है।
इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सौभाग्य के लिए व्रत रखती हैं, जबकि कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए उपवास करती हैं। यह व्रत बहुत कठोर होता है, जिसमें जल तक ग्रहण नहीं किया जाता। इसे निर्जला व्रत भी कहा जाता है।
हरियाली तीज का त्योहार न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा होता है, बल्कि यह महिलाओं की शक्ति, सौंदर्य और श्रद्धा का प्रतीक भी होता है। इस दिन महिलाएं हरे रंग के वस्त्र पहनती हैं, मेहंदी लगाती हैं, झूला झूलती हैं और पारंपरिक गीतों का आनंद लेती हैं। यह समय वर्षा ऋतु का होता है और चारों ओर हरियाली छा जाती है, इसीलिए इसे 'हरियाली तीज' कहा जाता है।
पूजा विधि की बात करें तो इस दिन सुबह-सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं। फिर घर या मंदिर में देवी पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति स्थापित की जाती है। उन्हें श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित की जाती हैं जैसे कांच की चूड़ियां, बिंदी, सिंदूर, सुहाग सामग्री आदि। महिलाएं पूजा के दौरान पारंपरिक तीज गीत गाती हैं और कथा श्रवण करती हैं।
मैया तुमको मनावे तेरे भक्त रे,
तेरे भक्त रे,
मैं हूँ दासी तेरी दातिए,
सुन ले विनती मेरी दातिए,
मईया ये जीवन हमारा,
आपके चरणों में है,
मैया बधाई है बधाई है,
बाबा बधाई है बधाई है,