सावन महीने की शुक्ल पंचमी तिथि को नाग पंचमी का पर्व पूरे भारत में श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इस दिन नाग देवता और भगवान शिव की पूजा की जाती है। जहां एक ओर इस दिन विशेष पूजा-विधि और व्रत के नियम होते हैं, वहीं कुछ काम वर्जित भी माने गए हैं। इन्हीं में से एक है रोटी बनाना, खासकर तवे का इस्तेमाल करना। अब सवाल उठता है कि नाग पंचमी पर रोटी क्यों नहीं बनाई जाती? इसके पीछे कई धार्मिक और ज्योतिषीय कारण छिपे हैं, जो आज भी परंपरा के रूप में निभाए जाते हैं।
नाग पंचमी पर रोटी न बनाने का सबसे बड़ा कारण लोहे के तवे का इस्तेमाल है। प्राचीन मान्यता के अनुसार इस दिन लोहे से बनी चीजें खासकर तवा अग्नि पर नहीं रखना चाहिए। अधिकतर घरों में रोटी लोहे के तवे पर ही बनती है, इसलिए इस दिन रोटी बनाना मना होता है। लोहे के तवे को सांप के फन का प्रतीक भी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन तवे को आग पर रखने से नाग देवता नाराज हो सकते हैं, जिससे परिवार को कष्ट और धन हानि का सामना करना पड़ सकता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, तवे को राहु ग्रह का प्रतीक माना जाता है। राहु एक छाया ग्रह है जिसे अशुभ ग्रहों में गिना जाता है। नाग पंचमी का दिन कालसर्प दोष, राहु-केतु दोष और ग्रहों के कुप्रभाव से मुक्ति पाने का दिन होता है। ऐसे में अगर इस दिन राहु से जुड़ी वस्तु जैसे तवे का इस्तेमाल किया जाए, तो यह दोष और भी बढ़ सकता है। इसलिए कहा जाता है कि नाग पंचमी पर तवे का उपयोग न करें ताकि राहु दोष से बचा जा सके और पूजा का संपूर्ण फल मिल सके।
एक और मान्यता यह भी है कि नाग पंचमी के दिन नाग धरती के भीतर से बाहर आते हैं। इसलिए इस दिन जमीन की खुदाई, हल चलाना और नुकीली वस्तुओं का उपयोग वर्जित माना गया है। रोटी बनाने में खुरपी, चाकू और तवा जैसी वस्तुओं का प्रयोग होता है, जिससे अनजाने में धरती में रहने वाले नागों को नुकसान पहुंच सकता है। ऐसा करने पर नाग देवता रुष्ट हो सकते हैं और परिवार को स्वास्थ्य या आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
ॐ जय एकादशी माता, मैया जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ॐ जय पार्वती माता, मैया जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता॥
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।
राजेश्वरी जय नमो नमः॥
जय जय तुलसी माता, सब जग की सुखदाता,
सब योगों के ऊपर, सब रोगों के ऊपर,