सावन महीने की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि भक्ति, विश्वास और भाई-बहन के रिश्ते का प्रतीक भी है। इस दिन महिलाएं नाग देवता को भाई मानकर पूजा करती हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी है जो हमें न केवल परंपरा की गहराई समझाती है, बल्कि सच्चे रिश्तों की मिसाल भी पेश करती है।
प्राचीन काल में एक सेठजी के सात बेटे थे और सभी की शादियां हो चुकी थीं। सबसे छोटे बेटे की पत्नी चरित्रवान, समझदार और बहुत ही विनम्र थी, लेकिन उसका कोई भाई नहीं था।
एक दिन घर की बड़ी बहू ने सभी बहुओं से पीली मिट्टी लाने को कहा। सब खुरपी और धलिया लेकर मिट्टी खोदने लगीं, तभी एक सर्प निकला। बड़ी बहू उसे मारने लगी, लेकिन छोटी बहू ने उसे रोका और कहा – "मत मारो इसे, यह निर्दोष है।"
बड़ी बहू मान गई और सर्प को छोड़ दिया। छोटी बहू ने सर्प से कहा कि वह लौटकर उससे मिलने आएगी। परंतु घर जाकर वह बात भूल गई। अगले दिन उसे याद आया और वह सर्प से मिलने गई। सर्प वहीं बैठा था।
जब उसने सर्प से माफी मांगी और उसे 'भैया' कहकर संबोधित किया, तो सर्प बोला – "अब तू मेरी बहन और मैं तेरा भाई। जो चाहे मांग ले।" वह बोली – "भैया! मेरा तो कोई नहीं है, अच्छा हुआ जो तुम मिल गए।"
कुछ दिन बाद सर्प, इंसान का रूप लेकर उसके घर आया और उसे साथ ले गया। रास्ते में बताया कि वही सर्प है। उसने छोटी बहू को अपने घर ले जाकर बहुत सम्मान और सोना-चांदी दिया। वापस भेजते वक्त भी उसे ढेर सारा धन, वस्त्र और आभूषण देकर भेजा।
ये सब देखकर बड़ी बहू को ईर्ष्या हुई और उसने भी लालच में आकर बार-बार छोटी बहू से और चीजें मंगवाने को कहा। सर्प ने हर बार बहन की बात रखी – सोने के बर्तन, झाड़ू और यहां तक कि एक अनमोल हार तक दे दिया।
रानी को जब हार की बात पता चली तो उसने वह हार जबरन ले लिया। छोटी बहू ने सर्प भाई से प्रार्थना की कि हार रानी के गले में सर्प बन जाए। सर्प ने वैसा ही किया। हार पहनते ही वह सर्प बन गया और रानी डरकर रोने लगी।
राजा ने छोटी बहू को बुलाया और सच्चाई जानने पर न सिर्फ माफी मांगी, बल्कि उसे इनाम भी दिया।
ईर्ष्या के चलते बड़ी बहू ने अपने पति को भड़काया कि छोटी बहू के पास इतना धन कहां से आया? जब छोटी बहू से सवाल किया गया तो उसने सर्प भाई को याद किया। तभी सर्प प्रकट हुआ और बोला – "अगर मेरी बहन के चरित्र पर शक किया तो मैं तुझे खा जाऊंगा।" यह सुनकर सब डर गए और छोटी बहू का सम्मान और बढ़ गया।
इसी दिन से नाग पंचमी मनाने की परंपरा शुरू हुई। इस दिन महिलाएं नाग देवता को भाई मानकर उनकी पूजा करती हैं और अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
भारतीय संस्कृति में शुभ मुहूर्त का महत्व सदियों से जारी है। चाहे वह शादी-विवाह हो, मुंडन, अन्य अनुष्ठान, या फिर संपत्ति की खरीदारी, शुभ मुहूर्त का पालन करना अत्यंत आवश्यक माना जाता है।
वाहन खरीदना एक महत्वपूर्ण काम होता है जहां आपका एक सपना वास्तविकता में बदलने वाला होता है। हिंदू धर्म में जिस तरह लोग मांगलिक कार्य से पहले शुभ मुहूर्त देखते हैं उसी तरह संपत्ति, वाहन, भूमि खरीदने से पहले भी शुभ मुहूर्त देखा जाता है।
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