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Hariyali Teej Vrat Katha (हरियाली तीज व्रत कथा)

Hariyali Teej Vrat Katha (हरियाली तीज व्रत कथा)

Hariyali Teej Vrat Katha: माता पार्वती ने रखा था हरियाली तीज का उपवास, जानें पूरी पौराणिक कथा

हरियाली तीज हिंदू धर्म की सुहागिन स्त्रियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। यह व्रत श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां निर्जला उपवास रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, ताकि उन्हें अपने पति का दीर्घायु, प्रेम और सुखमय वैवाहिक जीवन प्राप्त हो। यह व्रत माता पार्वती के उस तप और समर्पण की स्मृति में रखा जाता है, जिसके द्वारा उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था।

हरियाली तीज व्रत पौराणिक कथा 

पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार भगवान शिव माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म की कथा सुना रहे थे। उन्होंने कहा ‘हे पार्वती! तुमने मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अनेक वर्षों तक घोर तप किया। तुमने घने जंगलों में तपस्या की, जहां तुमने अन्न और जल का भी त्याग कर दिया था। अपने व्रत और तप के दौरान तुमने केवल सूखी पत्तियां खाईं और कई बार तो वायु सेवन कर जीवन यापन किया।’

तुम्हारा यह कठोर तप देखकर देवता, ऋषि-मुनि और स्वयं ब्रह्मा जी भी प्रभावित हुए। तुम्हारी भक्ति, प्रेम और तपस्या से प्रसन्न होकर मैंने तुम्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया। तुम्हारा यह व्रत श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को था, जिसे आज लोग ‘हरियाली तीज’ के नाम से जानते हैं।

हरियाली तीज के व्रत का उद्देश्य

हरियाली तीज का व्रत केवल उपवास नहीं, बल्कि यह स्त्री के आत्मबल, संयम और प्रेम का प्रतीक है। यह व्रत हमें यह सिखाता है कि सच्ची निष्ठा और भक्ति से कोई भी इच्छा पूरी की जा सकती है। स्त्रियां इस दिन शिव-पार्वती की पूजा कर यह कामना करती हैं कि उनका वैवाहिक जीवन भी माता पार्वती और भगवान शिव की तरह स्थायी, प्रेममय और समर्पण से भरा हो।

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फूलो से अंगना सजाउंगी (Phoolon Se Angana Sajaungi)

फूलो से अंगना सजाउंगी
जब मैया मेरे घर आएंगी।

त्रिपुर भैरवी जयंती कब है ?

हर वर्ष मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को माता त्रिपुर भैरवी के जन्मदिवस को त्रिपुर भैरवी जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक अवसर है जो शक्ति और पराक्रम की प्रतीक माता त्रिपुर भैरवी की महिमा को दर्शाता है।

कैसे करें भगवान दत्तात्रेय की पूजा?

भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का ही अंश माना जाता है। माता अनुसूया की कठिन साधना के फलस्वरूप ये तीनों देव ही भगवान दत्तात्रेय के रूप में अवतरित हुए थे।

भगवान दत्तात्रेय की पौराणिक कथा

मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा के दिन भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनों देवों के अंश माने जाने वाले भगवान दत्तात्रेय का जन्म हुआ था। भगवान दत्तात्रेय को गुरु और भगवान दोनों की उपाधि दी गई है।

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