सूरज चंदा तारे उसके,
धरती आसमान,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
संत जनो की रक्षा हेतु,
धनुष राम ने धारा,
दुष्टों का संहार किया,
भक्तों को पार उतारा,
पहले था ना आगे होगा,
जैसे राजा राम,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
आदर और सत्कार बड़ों का,
मात पिता की पूजा,
प्राण जाए पर वचन ना जाए,
नहीं उदाहरण दूजा,
नहीं भाई कोई लक्ष्मण जैसा,
यति सदी बलवान,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
मर्यादा पुरुषोत्तम की है,
लीला अजब न्यारी,
चरणों ठोकर से प्रभु की,
शिला हो गयी नारी,
राम कथा से ही मिल जाये,
सबको मुक्ति धाम,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
सूरज चंदा तारे उसके,
धरती आसमान,
दिन भी उसका रात भी उसकी,
उसकी सुबह और शाम,
राम की राम ही जाने राम ॥
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बेहद फलदायी माना जाता है। इसका इंतजार शिव भक्तों को बेसब्री से रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर शिव पूजन करने और उपवास रखने से भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शनि प्रदोष का दिन भगवान भोलेनाथ के साथ शनिदेव की पूजा-आराधना के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन शनिदेव और शिवजी की पूजा करने से जीवन के समस्त दुखों से छुटकारा मिलता है और शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा समेत अन्य परेशानियां भी दूर होती है।
हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। पंचांग के मुताबिक साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा, इस दिन शनिवार होने के कारण यह शनि प्रदोष भी कहलाएगा।
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा- अर्चना करने का विधान है। इस दिन से प्रयागराज में कल्पवास शुरू किया जाता है, इस दिन व्रत, स्नान दान करने से मां लक्ष्मी और विष्णु जी बेहद प्रसन्न होते हैं।