Weekly Vrat Tyohar 16 To 22 June 2025: इस सप्ताह कौन-कौन से व्रत और पर्व आने वाले हैं? कौन सा व्रत कब रखा जाएगा और उसका क्या महत्व है? ऐसे सवाल हर लोगों के मन में होते हैं। तो आपको बता दें कि जून 2025 का तीसरा सप्ताह धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद खास माना जा रहा है। इस हफ्ते पंचक की शुरुआत, योगिनी एकादशी और सोम प्रदोष जैसे प्रमुख व्रत आ रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इस हफ्ते कौन-कौन से त्योहार मनाए जाएंगे।
इस सप्ताह की शुरुआत पंचक से हो रही है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचक 16 जून से शुरू होकर 20 जून तक चलेगा। पंचक चंद्रमा के कुंभ और मीन राशि में रहने का समय होता है। इस दौरान कुछ खास कार्य वर्जित माने जाते हैं, जैसे लकड़ी का काम, पलंग बनवाना, घर की छत डालना, शवदाह आदि। मान्यता है कि इन पांच दिनों में ऐसे कार्य करने से परेशानी हो सकती है। हालांकि, भगवान का ध्यान और पूजा-पाठ करने के लिए पंचक का समय शुभ माना जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी 21 जून को पड़ रही है। इसे पापों का नाश करने वाली एकादशी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन विधिपूर्वक व्रत करता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। स्कंद पुराण में बताया गया है कि इस व्रत का पुण्य 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर होता है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्त एक दिन पहले दशमी तिथि से ही सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं और एकादशी को निर्जला या फलाहारी व्रत रखते हैं।
इसके अलावा 22 जून को सोम प्रदोष व्रत भी आ रहा है, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। प्रदोष व्रत हर माह दो बार त्रयोदशी तिथि को आता है और जब यह सोमवार को पड़ता है तो इसे सोम प्रदोष कहा जाता है। सोम प्रदोष का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि सोमवार शिवजी का प्रिय दिन माना जाता है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने और व्रत रखने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है और सभी तरह के दोषों से छुटकारा मिलता है। वहीं इस दिन शाम के समय दीप जलाकर भगवान शिव का रुद्राभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है।
पंचक की अवधि पांच दिनों की होती है, जो इस बार 16 जून से शुरू होकर 20 जून को समाप्त हो रही है। पंचक समाप्ति के बाद वे सभी शुभ कार्य फिर से शुरू हो जाएंगे, जिन पर पंचक में रोक होती है।
ये श्री बालाजी महाराज है,
रखते भक्तो की ये लाज है,
यह तो प्रेम की बात है उधो,
बंदगी तेरे बस की नहीं है।
ये तुम्हारी है कृपा माँ,
तेरा दर्शन हो रहा,
यही रात अंतिम यही रात भारी,
बस एक रात की अब कहानी है सारी,