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नाग स्तोत्रम् (Nag Stotram)

नाग स्तोत्रम् (Nag Stotram)

ब्रह्म लोके च ये सर्पाःशेषनागाः पुरोगमाः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥1॥


विष्णु लोके च ये सर्पाःवासुकि प्रमुखाश्चये।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥2॥


रुद्र लोके च ये सर्पाःतक्षकः प्रमुखास्तथा।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥3॥


खाण्डवस्य तथा दाहेस्वर्गन्च ये च समाश्रिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥4॥


सर्प सत्रे च ये सर्पाःअस्थिकेनाभि रक्षिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥5॥


प्रलये चैव ये सर्पाःकार्कोट प्रमुखाश्चये।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥6॥


धर्म लोके च ये सर्पाःवैतरण्यां समाश्रिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥7॥


ये सर्पाः पर्वत येषुधारि सन्धिषु संस्थिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥8॥


ग्रामे वा यदि वारण्येये सर्पाः प्रचरन्ति च।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥9॥


पृथिव्याम् चैव ये सर्पाःये सर्पाः बिल संस्थिताः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥10॥


रसातले च ये सर्पाःअनन्तादि महाबलाः।

नमोऽस्तु तेभ्यः सुप्रीताःप्रसन्नाः सन्तु मे सदा॥11॥


॥ इति नाग स्तोत्रम् संपूर्णं ॥


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अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना क्यों शुभ

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है और इस साल अक्षय तृतीया का पर्व विशेष रूप से 30 अप्रैल को मनाया जाएगा।

अक्षय तृतीया पूजा विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किए गए पुण्य कर्म, दान और पूजा का फल अक्षय (अविनाशी) होता है।

अक्षय तृतीया पर नमक क्यों खरीदते हैं?

अक्षय तृतीया एक अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है, जिसे ‘अबूझ मुहूर्त’ कहा जाता है। यानी इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।

अक्षय तृतीया चालीसा पाठ

अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल अक्षय अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला होता है। इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा की जाती है।

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