हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि का अत्यंत धार्मिक महत्व है। यह दिन पूजा-पाठ, व्रत, स्नान और दान के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और चंद्रदेव की आराधना से मन को शांति, जीवन में सुख-समृद्धि और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। वर्ष 2025 में उदया तिथि के अनुसार, पूजा और व्रत 11 जून को किया जाएगा। इस दिन सत्यनारायण कथा और विशेष पूजन जैसे उपायों का भी अत्यंत महत्व होता है।
ज्येष्ठ पूर्णिमा पर सत्यनारायण व्रत कथा का पाठ या श्रवण करें। घर में कथा के समय धूप, दीप और फल-फूल अर्पित करें। कथा के बाद प्रसाद वितरण करें।
चैत्र माह की पूर्णिमा तिथि के दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। इसी दिन माता अंजनी और वानरराज केसरी के घर बजरंगबली का जन्म हुआ था। प्रत्येक वर्ष यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
श्री राम का जन्म चैत्र नवरात्रि नवमी तिथि के दिन अभिजित नक्षत्र में दोपहर बारह बजे के बाद हुआ था। इस दिन विधिपूर्वक भगवान राम की पूजा की जाती है। इसलिए, रामनवमी का दिन भगवान राम की पूजा के लिए समर्पित होता है।
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है। बहनें इस पर्व का सालभर बेसब्री से इंतजार करती हैं। इस दिन वे अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर उनकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई जीवनभर बहन की रक्षा करने का वचन देते हैं।
गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा-अर्चना करते हैं। इसे व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह दिन महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाया जाता है।