Jyeshtha Purnima 2025: ज्येष्ठ पूर्णिमा पर राशि अनुसार करें इन चीजों का दान, चंद्र दोष से मिलेगी मुक्ति
हिंदू पंचांग में ज्येष्ठ पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। यह तिथि वर्ष में एक बार आती है और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत पुण्यकारी मानी जाती है। इस साल पूर्णिमा 10 जून, मंगलवार को सुबह 11:35 बजे शुरू होकर 11 जून, बुधवार को दोपहर 1:13 बजे समाप्त हो रही है। उदया तिथि के अनुसार, 11 जून को व्रत और पूजा किया जाएगा।
राशि के अनुसार करें इन सामग्रीयों का दान
- मेष राशि: लाल वस्त्र, तांबे के बर्तन और मसूर की दाल का दान करें। इससे कार्य में सफलता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
- वृषभ राशि: सफेद चावल, मिश्री, दूध और चांदी का दान करें। इससे मानसिक शांति और पारिवारिक सुख मिलेगा।
- मिथुन राशि: हरे वस्त्र, मूंग की दाल और पन्ना रत्न का दान शुभ रहता है। इससे वाणी में मधुरता और बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।
- कर्क राशि: दूध, चावल और चांदी का दान करें। यह राशि चंद्रमा की ही होती है, इसलिए इससे चंद्र दोष से राहत मिलेगी।
- सिंह राशि: गेहूं, गुड़ और तांबे के बर्तन का दान करें। इससे मान-सम्मान और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि होती है।
- कन्या राशि: हरे फल, हरे वस्त्र और लेखन सामग्री का दान करें। इससे शिक्षा और करियर में प्रगति मिलती है।
- तुला राशि: सुगंधित इत्र, गुलाब जल और सफेद कपड़े दान करें। इससे वैवाहिक जीवन में सामंजस्य बनता है।
- वृश्चिक राशि: लाल वस्त्र, मूंगे का रत्न और मसाले का दान करें। यह रोगों से मुक्ति दिलाता है।
- धनु राशि: पीले वस्त्र, चने की दाल और धार्मिक पुस्तकें दान करना शुभ रहता है। इससे धार्मिक क्षेत्र में लाभ मिलेगा।
- मकर राशि: कंबल, काले तिल और लोहे के बर्तन का दान करें। यह शनि और चंद्र दोष से राहत दिलाता है।
- कुंभ राशि: नीले वस्त्र, ऊनी कपड़े और स्टील के बर्तन का दान करें। इससे आर्थिक संकट दूर होंगे।
- मीन राशि: पीला चंदन, हल्दी और पीले फूलों का दान करें। इससे आध्यात्मिक शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त होगा।
पूजा के साथ करें दान
- पूर्णिमा के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा करें और फिर अपनी राशि अनुसार वस्तुएं जरूरतमंदों को दान करें।
- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, इस दिन किया गया राशि अनुसार दान विशेष फलदायी होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
........................................................................................................विश्वामित्र प्रसिद्ध सप्तऋषियों और महान ऋषियों में से एक हैं। विश्वामित्र एक ऋग्वैदिक ऋषि हैं जो ऋग्वेद के मंडल ३ के मुख्य लेखक थे।
हिंदू धर्म के अनुसार, प्रारंभिक काल में ब्रह्मा जी ने समुद्र और धरती पर हर प्रकार के जीवों की उत्पत्ति की।
सप्तऋषियों में भारद्वाज ऋषि को सबसे सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है। ऋषि भारद्वाज ने आयुर्वेद सहित कई ग्रंथों की रचना की थी।
अत्रि (वैदिक ऋषि) ऋषि को ब्रह्मा जी के मानस पुत्रों में से एक और चन्द्रमा, दत्तात्रेय और दुर्वासा का भाई माना जाता है।