आषाढ़ हिंदू पंचांग का चौथा महीना है, जो जून या जुलाई में आता है। वर्ष 2025 में यह महीना 12 जून से लेकर 10 जुलाई तक चलेगा। आषाढ़ महीना न केवल वर्षा ऋतु की शुरुआत का संकेत देता है, बल्कि यह भक्ति, तपस्या और आध्यात्मिक साधना का भी विशेष समय माना जाता है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसमें अनेक धार्मिक पर्व, उपवास और अनुष्ठान आते हैं, जो जीवन में शुभता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं।
21 जून- योगिनी एकादशी
योगिनी एकादशी का व्रत पापों के नाश और मोक्ष की प्राप्ति के लिए किया जाता है। यह विष्णु भक्ति का विशेष दिन होता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से 88,000 ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर पुण्य फल प्राप्त होता है।
23 जून - मासिक शिवरात्रि और सोम‑प्रदोष व्रत
मासिक शिवरात्रि भगवान शिव की आराधना का विशेष दिन होता है। भक्त उपवास रखते हैं और रात्रि में शिवलिंग का अभिषेक कर भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
प्रदोष व्रत शिव जी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को सूर्यास्त के समय रखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी पापों का नाश होता है और व्यक्ति को दीर्घायु तथा उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।
25 जून- आषाढ़ अमावस्या और पितृ पक्ष की अमावस्या
यह दिन पितरों को तर्पण, श्राद्ध और दान-पुण्य के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इसे आत्मशुद्धि और पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु एक विशेष अवसर माना जाता है। इस दिन जलदान, अन्नदान और ब्राह्मण भोजन कराने की परंपरा भी है।
26 जून- गुप्त नवरात्रि आरंभ
गुप्त नवरात्रि सामान्य नवरात्रि की तुलना में अधिक गूढ़ और साधना-प्रधान होती है। इसमें देवी के दस महाविद्याओं की पूजा की जाती है। तांत्रिक साधना, ध्यान और मंत्र जाप का यह विशेष समय माना जाता है।
27 जून- जगन्नाथ रथ यात्रा
पुरी (ओडिशा) में आयोजित यह यात्रा भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथों पर नगर यात्रा होती है। भक्तों को भगवान के साक्षात दर्शन और रथ खींचने का सौभाग्य मिलता है, जिसे अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है।
इस दिन कर्नाटक में मासिक भीमा अमावस्या भी मनाई जाएगी और इसके साथ ही गुजरात में दशमा व्रत भी मनाया जाएगा।
6 जुलाई- देवशयनी एकादशी
इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चातुर्मास प्रारंभ होता है, जो चार महीने तक चलता है। इस समय विवाह, गृह प्रवेश, शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इसे ‘हरिशयनी एकादशी’ भी कहा जाता है।
10 जुलाई- गुरु पूर्णिमा और आषाढ़ पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा का दिन वेदव्यास जी को समर्पित होता है, जिन्होंने वेदों का संकलन किया। यह दिन गुरु की महिमा और ज्ञान के प्रति समर्पण को दर्शाता है। शिष्य इस दिन अपने गुरु का पूजन करते हैं, ज्ञान की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद लेते हैं और जीवन में दिशा प्राप्त करते हैं।
हे राम तुम्हारे आने से सुखधाम बना ये जग सारा,
संपूर्ण सनातन पुलकित है जप जप के राम तेरी माला ॥
रामा रामा रटते रटते,
बीती रे उमरिया ।
रामा रामा रटो,
करो सफल उमरिया,
रामचंद्र कह गये सिया से,
हे रामचंद्र कह गये सिया से,