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सनातन परंपरा के अनुसार परिवर्तनी एकादशी व्रत का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। जब चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं। तो इस 4 माह के दौरान करीब 8 एकादशी पड़ती है और हर एक एकादशी का पर व्रत रखने का विशेष महत्व है। बात करें परिवर्तनी एकादशी की तो ये व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और उनके अवतार श्री कृष्ण की पूजा के साथ व्रत का संकल्प लिया जाता हैं। इस दिन भगवान विष्णु अपनी करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्तनी एकदाशी कहा जाता हैं। भक्तव्सल के इस लेख में परिवर्तनी एकादशी व्रत के नियमों और इससे होने वाले लाभ के बारें में विस्तार से जानेंगे...
इस व्रत में धूप, दीप, नैवेद्य और पुष्प आदि से पूजा करना विधि-विधान से सात कुंभ स्थापित करने जैसा माना जाता है। सातों कुंभों में सात प्रकार के अलग-अलग धान्य भरे जाते हैं। इन सात अनाजों में गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है। एकादशी तिथि से पूर्व की तिथि अर्थात दशमी तिथि के दिन इनमें से किसी धान्य का सेवन नहीं करना चाहिए। कुंभ के ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रख पूजा की जाती है। इस व्रत को करने के बाद रात्रि में श्री विष्णु जी के पाठ का जागरण करना चाहिए। यह व्रत दशमी तिथि से शुरु होकर, द्वादशी तिथि तक जाता है। इसलिए इस व्रत की अवधि सामान्य व्रतों की तुलना में कुछ लंबी होती है। एकादशी तिथि के दिन पूरे दिन व्रत कर अगले दिन द्वादशी तिथि के प्रातःकाल में अन्न से भरा घड़ा ब्राह्मण को दान में दिया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल यह 13 सितंबर को रात 10:40 बजे पर प्रारंभ होगी जो अगले दिन 14 सितंबर, 2024 को रात 8:41 बजे समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, 14 सितंबर 2024 को परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं परिवर्तिनी एकादशी की पूजा का शुभ मुहूर्त 14 सितंबर को सुबह 07:38 बजे से सुबह 09:11 बजे तक है।
परिवर्तिनी एकादशी के दिन व्रत रखने के बाद द्वादशी तिथि को व्रत का पारण करना चाहिए। हिंदू पंचांग के अनुसार, व्रत का पारण 15 सितंबर को सुबह 6 बजकर 6 मिनट से सुबह 8 बजकर 34 मिनट तक है। इसके साथ ही इस दिन द्वादशी तिथि का समापन शाम को 6 बजकर 12 मिनट पर होगा।
1. व्रत का संकल्प: व्रत के एक दिन पहले संकल्प लें कि आप परिवर्तिनी एकादशी का व्रत रखेंगे।
2. सुबह जल्दी उठना: व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
3. व्रत का आरंभ: सूर्योदय से पहले व्रत का आरंभ करें।
4. व्रत के दौरान अन्न नहीं खाना: व्रत के दौरान अन्न नहीं खाना चाहिए, केवल फलाहार करें।
5. पूजा और आरती: भगवान विष्णु की पूजा और आरती करें।
6. रात्रि जागरण: व्रत की रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु की भक्ति करें।
7. व्रत का पारण: अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
8. दान और पुण्य: व्रत के बाद दान और पुण्य करें।
9. व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन: व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें।
10. व्रत के दौरान सत्य बोलना: व्रत के दौरान सत्य बोलना चाहिए और झूठ नहीं बोलना चाहिए।
11. परिवर्तनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- दिव्य फल प्राप्त होता है।
- पापों का नाश होता है।
- भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
- ब्रह्मा, विष्णु सहित तीनों लोकों का पूजन होता है।
- जीवन में खूब सुख-समृद्धि, सकारात्मकता आती है।
- अक्षय फलों की प्राप्ति होती है।
- पूजन के समय श्री विष्णु के सामने कुछ सिक्के रखें। पूजन के बाद सिक्कों को लाल रेशमी कपड़े में बांधकर पर्स या तिजोरी में हमेशा रखें। यह उपाय धन आगमन के साथ ही स्थिरता भी देगा।
- यदि बार-बार कर्ज लेना पड़ रहा हैं या कर्ज नहीं उतर रहा है तो एकादशी के दिन पीपल के पेड़ की जड़ में शकर डालकर जल अर्पित करें और शाम के समय पीपल के नीचे दीया लगाएं।
- आर्थिक लाभ के लिए इस भगवान विष्णु के मंदिर में 1 साबुत श्रीफल और 125 ग्राम साबुत बादाम चढ़ाएं।
- एकादशी की रात्रि में घर में अथवा श्री विष्णु मंदिर जाकर श्रीहरि के सामने 9 बत्तियों वाला दीया जलाएं, दीया बड़ा लें ताकि वो रात भर जलता रहे। इस उपाय से आर्थिक प्रगति, ऋण चुकता होगा तथा जीवन में सुख-सौभाग्य और समद्धि आएगी।
- विवाह न हो रहा हो तो वे लोग इस एकादशी पर श्री विष्णु का पीले फूलों से श्रृंगार करके, सुगंधित चंदन लगाए तथा बेसन की मिठाई का भोग लगाएं। विवाह योग शीघ्र बनेंगे।
- ग्यारस के दिन दही एवं चांदी का दान करें, यह उत्तम फलदायी होगा।
- इस दिन विष्णु सहस्रनाम, श्री कृष्ण चालीसा एवं कृष्ण नामों का जाप करना चाहिए।
- इस दिन माता लक्ष्मी का पूजन अवश्य करें, इससे धन की कमी दूर होगी।
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