नवरात्रि सप्तमी 2024: शारदीय नवरात्रि की सप्तमी कब है?

नवरात्रि 2024: कब मनाई जाएगी नवरात्रि की सप्तमी, जानिए माता कालरात्रि की पूजन विधान, शुभ मुहूर्त और पौराणिक कथा


नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा के लिए समर्पित है। सप्तमी के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। मां कालरात्रि को भय और कष्टों का नाश करने वाली देवी के रूप में पूजा जाता है। उनकी पूजा से हर प्रकार की बाधाओं और भय से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति निर्भय बनता है।


नवरात्रि सप्तमी 2024 तिथि और समय


ज्योतिष गणना के अनुसार इस साल यानी 2024 में नवरात्रि की सप्तमी तिथि 09 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी। ये तिथि 10 अक्टूबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक रहेगी जिसके बाद अष्टमी की शुरुआत होगी। हिंदू संस्कृति में किसी भी त्योहार को सूर्य की उदय होने की तिथि से मनाया जाता है इसलिए सप्तमी की पूजा 10 अक्टूबर के दिन की जाएगी।


सप्तमी तिथि प्रारंभ:- 09 अक्टूबर 2024, दोपहर 12:15

सप्तमी तिथि समापन:- 10 अक्टूबर 2024, दोपहर 12:31

सप्तमी के दिन व्रत और पूजा:- 10 अक्टूबर 2024


नवरात्रि सप्तमी 2024: मां कालरात्रि की पूजा का महत्व


दरअसल मां कालरात्रि मां काली का ही एक नाम है। इनका रंग घने अंधेरे की तरह काला है और इनकी आंखे लाल हैं। माता कालरात्रि गर्दभ की सवारी करती हैं। माता का यह विकराल स्वरूप केवल दुष्टों और आसुरी शक्तियों के लिए ही भयावह होता है। माता अपने भक्तों के लिए हमेशा कल्याणकारी सिद्ध होती हैं। मां कालरात्रि की पूजा करने से भक्तों  के सभी भय, बाधाएं और संकट पूर्ण रूप से दूर हो जाते हैं।


मां कालरात्रि की पूजा से लाभ


माता कालरात्रि की पूजा से हर प्रकार के भय, कष्ट और अंधकार से मुक्ति मिलती है। जीवन में आने वाली नकारात्मक ऊर्जा और बाधाएं समाप्त होती हैं। साधक को आत्मविश्वास और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। मां कालरात्रि की कृपा से साधक अपने जीवन में सफलता और समृद्धि हासिल करता है।


मां कालरात्रि की पूजा विधि


  1. स्नान और स्वच्छता: पूजा से पहले सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। 
  2. पूजा स्थल की तैयारी: पूजा स्थल को साफ करके मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र की पूजा की जा सकती है।  
  3. मां का अभिषेक: मां का गंगाजल से अभिषेक करना चाहिए और उनको लाल रंग के वस्त्र, फूल, माला और अक्षत अर्पित करना चाहिए। 
  4. माता को भोग का अर्पण: मां कालरात्रि को गुड़ और नारियल का भोग विशेष रूप से प्रिय है। 
  5. मंत्र जाप से प्रसन्न होती हैं माता: मां कालरात्रि के मंत्र का जाप और उनकी आरती करने से वे प्रसन्न होती हैं।  
  6. व्रत और पूजा का समापन: पूजा के बाद व्रत का पारण और भोग को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। 


मां कालरात्रि के मंत्र


दंस्त्रकरालवदने शिरोमालाविभूषणे।

चामुंडे मुंडमथने नारायणि नमोऽस्तु ते।।

या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।


ॐ कालरात्र्यै नमः

ॐ फट शत्रुं सघय घातय ॐ

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गति नाशिन्यै महामायायै स्वाहा

या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।


मां कालरात्रि का बीज मंत्र


ॐ कालरात्र्यै नमः।


मां कालरात्रि सिद्धि मंत्र मंत्र 

एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥

वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥


राहुकाल के समय से बचें


नवरात्रि की सप्तमी को राहुकाल का समय दोपहर 01:34 PM से 03:01 PM तक रहेगा। हिंदू धर्म में राहुकाल के समय कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता है। इसलिए इस समय पूजा करने से बचना चाहिए। इसके अलावा बाकी समय में आप माता कालरात्रि की पूजा कर सकते हैं।

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