नवीनतम लेख
सप्त नदियों में कावेरी नदी का भी विशेष स्थान है। तमिलनाडु और कर्नाटक में ये अपने जीवनदायनी गुणों की वजह से प्रसिद्ध है। कावेरी नदी को भगवान दत्तात्रेय से जोड़कर देखा जाता है। किंवदंतियों में बताया गया है कि कैसे देवी कावेरी को भूमि का पोषण करने के लिए धरती पर लाया गया था। मां कावेरी का उद्गम स्थल पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी पर्वत से माना जाता है। दक्षिण पूर्व में प्रवाहित होकर कावेरी नदी बंगाल की खाड़ी में मिली है। कावेरी नदी प्राचीन काल से बहती चली आ रही है। कावेरी परमपिता ब्रह्मा की पुत्री है और इसे देवी गंगा की तरह ही पूजनीय माना गया है। इसके किनारे हिंदुओं के कई धार्मिक स्थल हैं, जिसमें से तिरुचिरापल्ली प्रमुख है। कावेरी को दक्षिण भारत की जीवन रेखा भी कहा गया है। यही कारण है कि इसे दक्षिण की गंगा के नाम से भी जाना जाता है और मान्यता है कि इसमें स्नान करने से कई जन्मों के पाप छूट जाते हैं।
कावेरी नदी की उत्पत्ति
कावेरी नदी के जन्म के पीछे कई अलग-अलग कहानियां प्रचलित हैं। उनमें से एक कहानी के अनुसार प्राचीन काल में क्षेत्र में भीषण सूखे के कारण दक्षिण भारत की स्थिति बदतर होती जा रही थी। यह देखकर ऋषि अगस्त्य को बहुत दुख हुआ और उन्होंने भगवान ब्रह्मा से मानव जाति को इस स्थिति से बाहर निकलने में मदद करने की प्रार्थना की। ब्रह्मा ने कहा कि यदि आप उस स्थान पर जाते हैं जहां भगवान शिव रहते हैं और कुछ बर्फ का पानी इकट्ठा करते हैं तो आप एक नई नदी का प्रवाह कर सकते हैं जो कभी खत्म नहीं होगी। ब्रह्मा की बात सुनकर ऋषि अगस्त्य कैलाश पर्वत पर गए और अपने घड़े को बर्फ के पानी से भरकर वापस चले गए। उन्होंने पहाड़ी कूर्ग क्षेत्र में नदी शुरू करने के लिए अच्छी जगह की तलाश शुरू कर दी। जब सही जगह की तलाश करते करते ऋषि अगस्त्य थक गए तो अपना बर्तन एक छोटे से लड़के को सौंपकर वे कुछ देर के लिए आराम करने लगे। ऋषि ने जिस लड़के को वह बर्तन सौंपा था वो कोई और नहीं विघ्नहर्ता श्री गणेश थे जो भक्तों की परेशानी दूर करने के लिए आए थे। इसके बाद श्री गणेश ने ऋषि अगस्त्य को ब्रह्मगिरी पर्वत पर पहुंचाया जहां से इस नदी का प्रवाह शुरु हो सका। ऐसी मान्यता है कि इसमें स्नान करने से कई जन्मों के पाप छूट जाते हैं।
धार्मिक महत्व
कावेरी नदी भारत की पवित्र नदी है और इसका धार्मिक महत्व अन्य नदियों की ही तरह है। भारत में लोग गंगा और यमुना की तरह ही कावेरी को भी देवी मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं। उन्हें देवी कावेरी अम्मा के रूप में संदर्भित किया गया है। किदवंतियों की मानें तो कावेरी नदी हमारे कर्मों को शुद्ध करती है और हमारे सभी कष्टों को धो देती है। यह नदी मां के रूप में पूजी जाती है और हमें शांति प्रदान करती हैं।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।