Logo

नर्मदा नदी (Narmada Nadi)

नर्मदा नदी (Narmada Nadi)

गंगा और यमुना की तरह नर्मदा नदी को भी हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना गया है। नर्मदा नदी को मां दुर्गा से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए मां नर्मदा को हिंदू धर्म की सात पवित्र नदियों में भी शामिल किया गया। ऐसा माना जाता है कि नर्मदा में डुबकी लगाने से गंगा में डुबकी लगाने के समान ही पवित्रता और पुण्य प्राप्त होता है। नर्मदा नदी के एक-एक कंकड़ को शंकर के समान माना गया है, इस नदी से निकले वाले प्रत्येक कंकड़ और पत्थर को नर्मदेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है। धार्मिक मान्यता और पौराणिक कथाओं के अनुसार इस नदी की परिक्रमा करने वाले व्यक्ति को समस्त पापों से मुक्ति मिलती है औक मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

नर्मदा नदी को मां रेवा और कुंवारी नदी के नाम से भी जाना जाता है, ये नदी मध्यप्रदेश की जीवनदायनी है जिसका उद्गम स्थाल अमरकंटक में है। नर्मदा की उत्पत्ति मैकाल पर्वत से हुई है और देश के पश्चिम दिशा की ओर बहते हुए ये खम्भात की खाड़ी में समाहित होती हैं। नर्मदा नदी को मां का दर्जा दिया गया है। नदी के उद्गम स्थल पर एक मंदिर भी बना हुआ है जो एक तीर्थ क्षेत्र के रूप में प्रसिद्ध है। 


नर्मदा नदी की उत्पत्ति 

नर्मदा नदी के पृथ्वी पर अवतरण की कथा स्कंद पुराण में मिलती है। कथा के अनुसार, राजा हिरण्य तेजा ने अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए चौदह हजार वर्षों तक कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न किया और महादेव से नर्मदा जी को पृथ्वी पर लाने का वरदान मांगा। भगवान शिव की आज्ञा से नर्मदा जी मगरमच्छ पर बैठकर उदयाचल पर्वत पर उतरीं और पश्चिम की ओर बहने लगीं। इसके अलावा भी नर्मदा नदी की उत्पत्ति से जुड़ी कई किवदंतियां सामने आती हैं जो अलग-अलग जगह और क्षेत्र के हिसाब से बदल जाती हैं।


........................................................................................................
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं (Achyutam Keshavam Krishna Damodaram)

अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं,
राम नारायणं जानकी बल्लभम ।

आदियोगी दूर उस आकाश की गहराइयों में (Adiyogi door us aakash ke gaharaiyon mein)

दूर उस आकाश की गहराइयों में,
एक नदी से बह रहे हैं आदियोगी,

ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया, बिना तुम्हारे (Ae Murliwale Mere Kanhaiya, Bina Tumhare )

ऐ मुरली वाले मेरे कन्हैया,
बिना तुम्हारे तड़प रहे हैं,

ए पहुना एही मिथिले में रहुना (Ae Pahuna Mithile Me Rahuna)

ए पहुना एही मिथिले में रहु ना,
जउने सुख बा ससुरारी में,

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang