सावन भगवान शिव का अत्यंत प्रिय महीना माना गया है। यही कारण है कि श्रावण सोमवार व्रत को पूरे भारत में विशेष महत्व दिया जाता है। लेकिन हर वर्ष की तरह 2026 में भी सावन का आरंभ सभी राज्यों में एक-सा नहीं होगा। इसका कारण है तीन प्रमुख पंचांग परंपराओं पूर्णिमांत, अमावस्यांत और नेपाली सौर पंचांग का अंतर। उत्तर भारत, दक्षिण भारत और नेपाल में सावन की शुरुआत और सोमवार व्रत की तिथियों में बड़ा अंतर दिखाई देता है। भक्त वत्सल पाठकों के लिए यहाँ सावन 2026 की सभी महत्वपूर्ण तिथियां, सोमवार व्रत, क्षेत्रीय अंतर और सावन माह का धार्मिक महत्व सरल और विश्वसनीय रूप में प्रस्तुत है।
उत्तर भारत (राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड) में पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार सावन 2026 की शुरुआत 30 जुलाई 2026, गुरुवार से होगी। इस परंपरा में सोमवार व्रत इस प्रकार पड़ेंगे-
● प्रथम सोमवार : 3 अगस्त 2026
● द्वितीय सोमवार : 10 अगस्त 2026
● तृतीय सोमवार : 17 अगस्त 2026
● चतुर्थ सोमवार : 24 अगस्त 2026
सावन का समापन 28 अगस्त 2026, शुक्रवार को होगा। उत्तर भारत में इसी क्रम को मानकर शिव भक्त पूरे माह जलाभिषेक, व्रत, रुद्राभिषेक और कांवड़ यात्रा करते हैं।
आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, गोवा, महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु में अमावस्यांत चंद्र पंचांग का अनुसरण होता है। यहां सावन उत्तरी राज्यों से लगभग दो सप्ताह बाद प्रारंभ होता है। 2026 में सावन की शुरुआत 13 अगस्त 2026, गुरुवार से होगी। सोमवार व्रत इस प्रकार हैं-
● प्रथम सोमवार : 17 अगस्त 2026
● द्वितीय सोमवार : 24 अगस्त 2026
● तृतीय सोमवार : 31 अगस्त 2026
● चतुर्थ सोमवार : 7 सितंबर 2026
सावन का समापन 11 सितंबर 2026, शुक्रवार को होगा। इन क्षेत्रों में विशेष रूप से शिव-पूजन, बेल पत्र अर्पण और श्रावण के अंतिम दिन नराली पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है।
नेपाल और हिमाचल-उत्तराखण्ड के कुछ ऊपरी क्षेत्रों में श्रावण सौर पंचांग के आधार पर मनाया जाता है। इसलिए यहां तिथियां दोनों भारतीय पंचांग प्रणालियों से अलग रहती हैं। 2026 में यहां सावन का आरंभ 16 जुलाई 2026, गुरुवार से होगा। सोमवार व्रत इस प्रकार हैं-
● प्रथम सोमवार : 20 जुलाई 2026
● द्वितीय सोमवार : 27 जुलाई 2026
● तृतीय सोमवार : 3 अगस्त 2026
● चतुर्थ सोमवार : 10 अगस्त 2026
सौर श्रावण का समापन 16 अगस्त 2026, रविवार को होगा। नेपाल में सावन अत्यधिक धार्मिक माह माना जाता है, जहाँ शिवालयों में विशेष श्रृंगार और जलाभिषेक होता है।
शिव पुराण के अनुसार श्रावण वह मास है जब देवताओं और असुरों द्वारा समुद्र मंथन हुआ था और भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए हलाहल विष को अपने कंठ में धारण किया। इसी कारण यह महीना शिव की कृपा प्राप्त करने का उत्तम समय माना गया। सावन में बेल पत्र, गंगाजल, दूध और धतूरा अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होने का विश्वास है। इसी माह में कांवड़ यात्रा, श्रावण शिवरात्रि, हरियाली अमावस्या और मंगला गौरी व्रत का विशेष महत्व रहता है।
सावन के प्रत्येक सोमवार को शिव भक्त प्रातः स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेते हैं। शिवलिंग पर दूध, जल और बेल पत्र चढ़ाया जाता है। दिन में दो बार शिव-पूजन, दीपदान, मंत्र-जप विशेष रूप से “ओम नमः शिवाय” का विधान बताया गया है। शिव पूजा में पंचामृत, पुष्प, धूप और सुपारी अर्पित की जाती है। पूजा के बाद कथा-पाठ और प्रसाद वितरण किया जाता है। विवाहित महिलाएं सौभाग्य वृद्धि और अविवाहित महिलाएं मनोवांछित वर की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं।