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1 November 2025 Panchang (1 नवंबर 2025 का पंचांग)

1 November 2025 Panchang  (1 नवंबर 2025 का पंचांग)

Aaj Ka Panchang: आज 1 नवंबर 2025 का शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह

Aaj Ka Panchang 1 November 2025: आज 1 नवंबर 2025 से कार्तिक मास का 25वां दिन है। शनिवार का दिन है। इस दिन सूर्य देव तुला राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे। आपको बता दें, आज के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:42 ए एम से 12:27 पी एम बजे तक है। इस दिन राहुकाल 09:19 ए एम से 10:42 ए एम तक रहेगा। आज कंस वध और देवुत्थान एकादशी है। साथ ही वार के हिसाब से आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो कि शनि देव को समर्पित होता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है। 

1 नवंबर 2025 को क्या है? (1 November 2025 Ko Kya Hai?)

आज पंचांग के अनुसार, 1 नवंबर 2025 को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है, जो कि 09:11 ए एम तक जारी रहेगी। इसके बाद एकादशी तिथि लग जाएगी।

1 नवंबर 2025 का पंचांग (1 November 2025 Ka Panchang)

  • तिथि- 09:11 ए एम तक कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि। इसके बाद एकादशी तिथि लग जाएगी।
  • नक्षत्र- शतभिषा (06:20 पी एम तक) पूर्व भाद्रपद
  • दिन/वार- शनिवार
  • योग- ध्रुव (02:10 ए एम, नवम्बर 02 तक) व्याघात
  • करण- गर (09:11 ए एम तक) वणिज (08:27 पी एम तक) विष्टि

  • कार्तिक शुक्ल पक्ष दशमी तिथि प्रारंभ - 10:03 ए एम, अक्टूबर 31
  • कार्तिक शुक्ल पक्ष दशमी तिथि समाप्त - 09:11 ए एम, नवम्बर 01

सूर्य-चंद्र गोचर (Surya-Chandra Gochar)

  • सूर्य - सूर्य देव तुला राशि में रहेंगे।
  • चंद्र - चंद्रमा कुंभ राशि में रहेंगे। 

सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त (Surya aur Chandrama Ka Muhurat)

सूर्योदय- 06:33 ए एम

सूर्यास्त- 05:36 पी एम

चन्द्रोदय- 02:49 पी एम

चन्द्रास्त- 02:46 ए एम, नवम्बर 02

1 नवंबर 2025 का शुभ मुहूर्त और योग (1 November 2025 Ka Shubh Muhurat aur Yog)

  • ब्रह्म मुहूर्त - 04:50 ए एम से 05:41 ए एम
  • अभिजीत मुहूर्त - 11:42 ए एम से 12:27 पी एम
  • विजय मुहूर्त - 01:55 पी एम से 02:39 पी एम
  • गोधूलि मुहूर्त - 05:36 पी एम से 06:02 पी एम
  • संध्या मुहूर्त - 05:36 पी एम से 06:54 पी एम
  • अमृत काल - 11:17 ए एम से 12:51 पी एम
  • रवि योग - 06:33 ए एम से 06:20 पी एम

1 नवंबर 2025 का अशुभ मुहूर्त (1 November 2025 ka Ashubh Muhurat)

  • राहु काल - 09:19 ए एम से 10:42 ए एम
  • गुलिक काल - 06:33 ए एम से 07:56 ए एम
  • यमगंड - 01:27 पी एम से 02:50 पी एम
  • वर्ज्य - 12:24 ए एम, नवम्बर 02 से 01:55 ए एम, नवम्बर 02
  • पंचक - पूरे दिन
  • भद्रा - 08:27 पी एम से 06:34 ए एम, नवम्बर 02
  • दिशाशूल - पूर्व, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।

1 नवंबर 2025 पर्व/त्योहार/व्रत (1 November 2025 Parv / Tyohar / Vrat)

  • शनिवार का व्रत - आज आप शनिवार का व्रत रख सकते हैं, जो शनि देव को समर्पित है।
  • कंस वध - भगवान श्रीकृष्ण ने कंस वध के दिन अत्याचारी कंस का अंत कर अपने नाना राजा उग्रसेन को पुनः मथुरा के सिंहासन पर बैठाया। यह दिन ब्रज क्षेत्र, खासकर मथुरा में “कंस वध” उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जो मुख्यतः चतुर्वेदी (चौबे) समाज का प्रमुख त्यौहार है। विदेशों और देश के अन्य शहरों में बसे चतुर्वेदी परिवार इस मौके पर मथुरा लौटते हैं, जिससे यह पर्व पूरे समाज को एकजुट करता है। कंस वध कार्तिक शुक्ल दशमी को मनाया जाता है, जो आमतौर पर दीपावली के दसवें दिन आता है। इसके अगले दिन देवउठनी एकादशी पर ब्रज क्षेत्र के लोग मथुरा, वृंदावन और गरुड़ गोविंद की तीन वन परिक्रमा करते हैं। माना जाता है कि श्रीकृष्ण ने कंस वध के पाप से मुक्ति पाने के लिए यह परिक्रमा की थी और तभी से यह परंपरा चली आ रही है।
  • देवुत्थान एकादशी - पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है तथा विशेष वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से जीवन में सौभाग्य, धनलाभ और मंगल फल की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागृत होते हैं, इसलिए इसे “देवउठनी एकादशी” कहा जाता है। इस एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है और इसी के साथ विवाह सहित सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की पुनः शुरुआत होती है।

1 नवंबर 2025/आज के उपाय (1 November 2025 Ke Upay)

  • शनिवार के उपाय - घी का दीपक जलाने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी प्रसन्न होते हैं और आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, जबकि सरसों के तेल का दीपक शनिदेव और पितरों को प्रसन्न करता है। शनिवार को शनिदेव की कृपा पाने के लिए गंगाजल में काले तिल मिलाकर पीपल के पेड़ पर अर्घ्य देना, तीन परिक्रमा और उठक-बैठक करना लाभदायक होता है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए दान-पुण्य करना भी जरूरी है, जिसमें चमड़े के जूते, काले तिल, उड़द की दाल और छाता जैसी वस्तुएं शामिल हैं। अच्छे कर्म करने वालों को शनिदेव पुरस्कृत करते हैं और बुरे कर्मों की सजा देते हैं।
  • देवुत्थान एकादशी के दिन करें ये उपाय - ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवउठनी एकादशी सूर्य की ऊर्जा बढ़ाने और पितृ दोष निवारण के लिए शुभ मानी जाती है। इस दिन व्रत रखने और "ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नमः" मंत्र का जाप करने से पितरों को मोक्ष और साधक को शुभ फल मिलता है। इस अवसर पर तुलसी-शालीग्राम विवाह किया जाता है, जिससे पितृ दोष का नाश और अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। रात में पीपल के नीचे दीपक जलाना और आटे के दीपक को नदी में प्रवाहित करना भी लाभकारी है। पूजा के समय गन्ने का मंडप बनाकर भगवान विष्णु की आराधना करें और सात्त्विक आहार ग्रहण करें। इस दिन चावल, नमक, प्याज, लहसुन, मांस और मदिरा से परहेज कर भगवान विष्णु की उपासना करने से शांति और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। 

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