13 October 2025 Panchang: शुभ मुहूर्त, राहुकाल का समय, आज की तिथि और ग्रह
13 October 2025 Panchang: आज 13 अक्टूबर 2025 से कार्तिक मास का सातवां दिन है। साथ ही आज पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है, जो कि 12:24 पी एम तक जारी रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी। बता दें कि आज सोमवार का दिन है। इस दिन सूर्य देव कन्या राशि में रहेंगे। वहीं चंद्रमा 05:58 ए एम, अक्टूबर 14 तक मिथुन राशि रहेंगे। इसके बाद कर्क राशि में गोचर करेंगे। आपको बता दें, आज सोमवार के दिन अभिजीत मुहूर्त 11:44 ए एम से 12:30 पी एम तक रहेगा। इस दिन राहुकाल07:47 ए एम से 09:14 ए एम तक रहेगा। आज के दिन कई विशेष त्योहार है, जिसमें अहोई अष्टमी, राधा कुण्ड स्नान, कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी शामिल है। साथ ही वार के हिसाब से आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित होता है। आइए भक्त वत्सल के इस लेख में हम विस्तार से आपको आज के पंचांग के बारे में बताएंगे कि आज आपके लिए शुभ मुहूर्त क्या है। किस समय कार्य करने से शुभ परिणाम की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही आज किन उपायों को करने से लाभ हो सकता है।
13 अक्टूबर 2025 का पंचांग (13 October 2025 Ka Panchang)
- तिथि - 12:24 पी एम तक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि। इसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी।
- नक्षत्र - आर्द्रा (12:26 पी एम तक) पुनर्वसु
- दिन/वार - सोमवार
- योग - परिघ (08:10 ए एम तक) शिव (05:55 ए एम, अक्टूबर 14 तक) सिद्ध
- करण - बव (12:24 पी एम तक) बालव (11:41 पी एम तक) कौलव
कार्तिक कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि प्रारंभ - 02:16 पी एम, अक्टूबर 12
कार्तिक कृष्ण पक्ष सप्तमी तिथि समाप्त - 12:24 पी एम, अक्टूबर 13
सूर्य-चंद्र गोचर (Surya-Chandra Gochar)
- सूर्य - सूर्य देव कन्या राशि में रहेंगे।
- चंद्र - चंद्रमा 05:58 ए एम, अक्टूबर 14 तक मिथुन राशि रहेंगे। इसके बाद कर्क राशि में गोचर करेंगे।
सूर्य और चंद्रमा का मुहूर्त (Surya aur Chandrama ka Muhurat)
- सूर्योदय - 06:21 ए एम
- सूर्यास्त - 05:53 पी एम
- चन्द्रोदय - 11:20 पी एम
- चन्द्रास्त - 01:04 पी एम
13 अक्टूबर 2025 का शुभ मुहूर्त और योग (13 October 2025 Ka Shubh Muhurat aur Yog)
- ब्रह्म मुहूर्त - 04:41 ए एम से 05:31 ए एम
- अभिजीत मुहूर्त - 11:44 ए एम से 12:30 पी एम
- विजय मुहूर्त - 02:03 पी एम से 02:49 पी एम
- गोधूलि मुहूर्त - 05:53 पी एम से 06:18 पी एम
- संध्या मुहूर्त - 05:53 पी एम से 07:08 पी एम
- रवि योग - 06:21 ए एम से 12:26 पी एम
13 अक्टूबर 2025 का अशुभ मुहूर्त (13 October 2025 ka Ashubh Muhurat)
- राहु काल - 07:47 ए एम से 09:14 ए एम
- गुलिक काल - 01:34 पी एम से 03:00 पी एम
- यमगंड - 10:40 ए एम से 12:07 पी एम
- वर्ज्य - 12:10 ए एम, अक्टूबर 14 से 01:44 ए एम, अक्टूबर 14
- आडल योग - 06:21 ए एम से 12:26 पी एम
- दिशाशूल - पूर्व, इस दिशा में यात्रा करने से बचना चाहिए।
13 अक्टूबर 2025 पर्व/त्योहार/व्रत (13 October 2025 Parv / Tyohar / Vrat)
- सोमवार का व्रत - आज आप सोमवार का व्रत रख सकते हैं, जो भगवान शिव को समर्पित है।
- अहोई अष्टमी - अहोई अष्टमी का व्रत मा ताएं अपने पुत्रों की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र की कामना के लिए करती हैं, जिसमें वे उषाकाल (भोर) से लेकर गोधूलि बेला (सायंकाल) तक कठोर उपवास रखती हैं। इस व्रत का पारण आकाश में तारों के दर्शन के बाद किया जाता है, हालांकि कुछ महिलाएं चंद्रमा के दर्शन के उपरांत व्रत खोलती हैं, लेकिन चंद्रोदय देर से होने के कारण यह कठिन होता है। यह पर्व करवा चौथ के चार दिन बाद और दीवाली से आठ दिन पहले आता है, जो उत्तर भारत में विशेष रूप से लोकप्रिय है। अष्टमी तिथि को किए जाने के कारण इसे अहोई आठें भी कहा जाता है। करवा चौथ की तरह ही यह व्रत भी निर्जल उपवास के रूप में मनाया जाता है और संध्या समय तारे दिखाई देने पर ही इसका पारण किया जाता है।
- राधा कुण्ड स्नान - अहोई अष्टमी के दिन राधाकुण्ड में स्नान करना धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पावन माना जाता है। विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए जिन्हें गर्भधारण में कठिनाई होती है। उत्तर भारतीय पूर्णिमान्त पंचांग के अनुसार यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन राधाकुण्ड में डुबकी लगाने से राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और संतान की प्राप्ति में सफलता मिलती है। हर वर्ष हज़ारों दंपत्ति इस आस्था के साथ गोवर्धन पहुंचते हैं और मध्यरात्रि के निशिता काल में डुबकी लगाते हैं, जिसे सबसे शुभ समय माना गया है। दंपत्ति कुष्मांडा (कच्चा सफेद पेठा) को लाल वस्त्र में सजाकर जल में राधा रानी को अर्पित करते हैं, ताकि उनकी मनोकामना शीघ्र पूर्ण हो। जिनकी मन्नत पूरी हो जाती है, वे दोबारा राधाकुण्ड आकर डुबकी लगाते हैं और आभार प्रकट करते हैं।
- कालाष्टमी - कालाष्टमी, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है और यह भगवान कालभैरव की पूजा का प्रमुख दिन होता है। भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और भैरव स्वरूप की आराधना करते हैं। साल की सबसे महत्वपूर्ण कालाष्टमी को कालभैरव जयंती कहा जाता है, जो उत्तर भारत के पूर्णिमांत पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष माह और दक्षिण भारत के अमांत पंचांग के अनुसार कार्तिक माह में आती है, हालांकि तिथि एक ही होती है। यह वही दिन माना जाता है जब भगवान शिव ने कालभैरव रूप में अवतार लिया था। इसे भैरव अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, व्रत उसी दिन किया जाता है जब अष्टमी तिथि रात्रि में प्रबल हो, भले ही वह सप्तमी से शुरू हो रही हो।
- मासिक कृष्ण जन्माष्टमी - प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भक्त मासिक कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत पूजा कर उनके आशीर्वाद से दुखों से मुक्ति की कामना की जाती है। इस दिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके भगवान कृष्ण की पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। पूजा में फूल, अक्षत, तुलसी दल अर्पित करने के बाद धूप-दीप जलाकर बाल गोपाल की आरती की जाती है। भगवान को माखन-मिश्री और मेवे का भोग अर्पित कर प्रसाद का वितरण करना शुभ माना जाता है।
13 अक्टूबर 2025 आज के उपाय (13 October 2025 Ke Upay)
- सोमवार के उपाय - सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से कई लाभ मिल सकते हैं। इस दिन शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल, दूध और गंगाजल चढ़ाएं। साथ ही बेलपत्र, धतूरा अर्पित करें। महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से रोग और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। शिव मंदिर में रुद्राक्ष दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनने और व्रत रखने से मन में शांति और सकारात्मक ऊर्जा रहती है। आर्थिक तंगी दूर करने के लिए सोमवार की रात शिव मंदिर में घी का दीपक जलाएं और नौकरी में सफलता पाने के लिए शिवलिंग पर शहद चढ़ाएं। इन उपायों से जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिल सकती है।
- मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन करें ये उपाय - हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, मासिक जन्माष्टमी का व्रत रखने और विधि-विधान से बाल गोपाल श्रीकृष्ण की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और संतान संबंधी कष्ट दूर होते हैं। इस दिन श्रद्धा से भगवान की पूजा करने से घर में सुख-शांति का वास होता है, नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मकता का संचार होता है। साथ ही मासिक जन्माष्टमी का व्रत धन-धान्य की वृद्धि में सहायक होता है, जिससे भगवान श्रीकृष्ण भक्तों के सभी दुखों का नाश कर उनके जीवन को खुशियों से भर देते हैं।
- कालाष्टमी के दिन करें ये उपाय - शास्त्रों के अनुसार कालाष्टमी के दिन किए गए दान का विशेष महत्व होता है, खासकर यदि वह प्रेम और वैवाहिक जीवन से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए किया जाए। इस दिन काले रंग का वस्त्र और उड़द की दाल दान करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है, जिससे लव लाइफ में आ रही रुकावटें दूर होती हैं और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। धर्मग्रंथों में काले तिल को भी शनि ग्रह से जुड़ा माना गया है, जो प्रेम और विवाह का कारक ग्रह है। अतः काले तिल का दान करने से प्रेम संबंधों की बाधाएं समाप्त होती हैं और ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा, राहु ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए कालाष्टमी के दिन जूते का दान करना लाभकारी माना गया है। साथ ही भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने हेतु चावल का दान करने से प्रेम जीवन में समझदारी और सामंजस्य बढ़ता है।
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