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चैती छठ के लिए सावधानियां

चैती छठ के लिए सावधानियां

Chaiti Chhath: चैती छठ व्रत में इन बातों को न करें नजरअंदाज, वरना खंडित हो सकता है व्रत

छठ को भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। छठ का महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। पहली बार छठ का महापर्व चैत्र महीने में मनाया जाता है जबकि दूसरी बार यह महापर्व कार्तिक महीने में मनाया जाता है। चैत्र महीने में मनाए जाने वाले छठ के महापर्व को चैती छठ कहते हैं। बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में लोग इस महापर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाते हैं। इसे भारत के अन्य हिस्सों में भी मनाया जाता है।
ऐसे मनाएं चैती छठ
चैती छठ का पर्व भी नहाय खाय से शुरू होता है। इस दिन व्रती महिलाएं यमुना नदी या अन्य पवित्र जल स्रोतों में स्नान करती हैं। इसके बाद वे सात्विक भोजन करती हैं। चैत्र छठ के दूसरे दिन खरना होता है, जिसे व्रत की शुरुआत माना जाता है। यह व्रत करीब 36 घंटे का होता है। इस दिन नए मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाया जाता है। इसके बाद महिलाएं स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाता है। 

इन बातों का रखें ध्यान, वरना खंडित हो सकता है व्रत

  • छठ के दौरान किसी भी बर्तन या पूजा सामग्री को गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। ऐसा करने से व्रत खंडित माना जाता है।
  • पूजा में फूल चढ़ाते समय ध्यान रखें कि वो फूल टूटे हुए या फिर पशु-पक्षियों द्वारा खाए हुए नहीं होने चाहिए।
  • चैत्र छठ के दौरान सात्विक भोजन ही करें। व्रत रखने वाले व्यक्ति को जमीन पर चटाई बिछाकर सोना चाहिए। 
  • पहले इस्तेमाल किए गए बर्तनों का इस्तेमाल छठ पूजा में नहीं करना चाहिए।

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महाशिवरात्रि व्रत विधि

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों मे एक है। यह पर्व भगवान शिव की आराधना को समर्पित होता है और फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है।

महाशिवरात्रि के विशेष उपाय

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व है। यह भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का पवित्र त्योहार आंतरिक शांति का प्रतीक है। इस दिन शिवभक्त उपवास, पूजा-अर्चना और रात्रि जागरण के माध्यम से भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं।

शिवलिंग पर जलाभिषेक क्यों

महाशिवरात्रि भगवान शिव का पवित्र त्योहार है। इस बार शिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। माना जाता है कि इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था।

शिव के 108 नामों के जाप

26 फरवरी को इस बार महाशिवरात्रि का पर्व है। ये दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक शिवरात्रि के दिन माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ है।

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