कार्तिक मास की एकादशी को देव उठनी एकादशी कहा जाता है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं और इस दिन से ही शादी-ब्याह जैसे मांगलिक कार्य की भी शुरुआत होती है। पर क्या आप जानते हैं कि इस दिन 11 या चौमुखी दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि रोजाना शुद्ध घी के दीपक तुलसी के सामने जलाने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन देव उठनी एकादशी पर इसका अपना विशेष महत्व है। तो आइए जानते हैं 11 या चौमुखी दीए जलाने की मान्यता के बारे में विस्तार से।
देव उठनी एकादशी के दिन तुलसी जी के पास शुद्ध घी के 11 दीपक जलाना चाहिए। इसके बाद “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करते हुए तुलसी जी की 11 बार परिक्रमा करें। ऐसा करने से मां तुलसी आपके सभी रोग-दोष दूर करेंगी और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होगा। देव उठनी एकादशी के दिन पीपल के वृक्ष के पास 11 दीपक जलाने से भगवान विष्णु आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के दौरान चार मुखी दीपक जलाने का विशेष महत्व है। इस दीपक को चारों दिशाओं में सुख और शांति का प्रतीक माना जाता है। दीपक में सरसों का तेल डालें और रुई की दो बातियां इस तरह रखें कि इनके मुख चारों दिशाओं में हो रहें। अब देवी-देवताओं का ध्यान करते हुए चौमुखी दीपक जलाएं। घर के मंदिर और मुख्य द्वार पर चौमुखी दीपक जलाने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 11 नवंबर को शाम 06 बजकर 46 मिनट पर शुरू होगी और 12 नवंबर को दोपहर बाद 04 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगी। उदया तिथि के अनुसार देव उठनी एकादशी 12 नवंबर को ही मनाई जाएगी और 13 नवंबर को एकादशी व्रत का पारण किया जाएगा।
पांच दिवसीय दीपावली त्योहार की शुरुआत धनतेरस से होती है। इस मौके पर खरीदारी का सबसे अधिक महत्व है। इस दिन लोग मान्यता के अनुसार वस्तुओं की खरीदारी करते हैं जिन्हें शुभ माना गया है।
दिवाली हिंदू धर्म का सबसे बड़ा त्योहार है। इसे भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा, पारंपरिक उपहार, रोशनी, सजावट, दीये, मिठाई आदि के लिए जाना जाता है।
नरक चतुर्दशी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है।
धनतेरस पर विभिन्न वस्तुओं की खरीदी का रिवाज है। इस शुभ दिन पर खरीदारी करने की परंपरा धनतेरस की पौराणिक मान्यता के साथ ही आरंभ हुई है।