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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हिंदू धर्म में तैंतीस करोड़ या तैंतीस कोटि देवी-देवता हैं। हालांकि यह भी कहा जाता है कि कुल तैंतीस देवता हैं, जिनमें 8 वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, इंद्र, प्रजापति शामिल हैं। ऐसे में सबसे बड़े देवता कौन हैं, यह एक बड़ा प्रश्न है। सबसे बड़े देवता को लेकर संप्रदाय और मान्यताओं के अनुसार भी अलग-अलग मत हैं।
जैसे वैष्णव संप्रदाय में भगवान विष्णु को सर्वोच्च देवता माना जाता हैं। शाक्त संप्रदाय भगवती दुर्गा को सर्वोच्च देवता मानता है। वहीं शैव संप्रदाय में भगवान शिव को सर्वोच्च देवता का दर्जा दिया गया है। ऋग्वैदिक देवताओं में इंद्र, अग्नि और सोम को प्रमुख देवताओं में गिना जाता है। वेद परंपरा श्री गणेश को प्रथम पूज्य मानती हैं।
ऐसे में हिंदू धर्म में सर्वोच्च देवता को लेकर अलग-अलग अवधारणा है। अलग-अलग संप्रदायों, ग्रंथों और मतों के आधार पर सबसे बड़े देवता को लेकर विभिन्न मत और विभिन्न व्याख्याएं हैं। लेकिन इन सब के बीच हिंदू धर्म में सबसे बड़े भगवान त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और शिव है, जिन्हें सर्वमान्य भी कहा गया है। इन तीनों को हर संप्रदाय, ग्रंथ, मत और मान्यता में श्रेष्ठता हासिल हैं।
इन त्रिमूर्ति में से भगवान विष्णु सृष्टि के पालन-पोषण और संरक्षण का कार्य करते हैं। ऐसे में हिंदू धर्म में भगवान विष्णु को सबसे बड़ा भगवान माना जाता है। वहीं ब्रह्मा जी को ब्रह्मांड के निर्माता और सृष्टिकर्ता के रूप में पूजा जाता है। भगवान शिव को विनाश और परिवर्तन के देवता के रूप में आदिदेव, महादेव और शंकर के नामों से पूजा जाता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार भी भगवानों की श्रेष्ठता का बखान अलग-अलग है। इन ग्रंथों में देवताओं की महिमा को वर्णित करते हुए इन्हें श्रेष्ठतम बताया गया है। जैसे- भगवत गीता में भगवान कृष्ण जो विष्णु जी के अवतार हैं, उन्हें सर्वोच्च भगवान के रूप में दर्शाया गया है। वहीं शिव पुराण में भगवान शिव को ब्रह्मांड का सर्वोच्च देवता माना गया है। इसी तरह देवी माहात्म्य देवी दुर्गा को समर्पित है। इसके अनुसार देवी ने ही ब्रह्मांड की रचना, संरक्षण और विनाश का जिम्मा उठा रखा है। रामायण में श्रीराम की श्रेष्ठता का बखान हैं। ऐसे में सर्वोच्च को लेकर एक मत नहीं है। हालांकि यह सत्य है कि सभी देवी देवताओं की असीम शक्ति और सामर्थ्य ही संसार को चलायमान रखने में लगा हुआ है। सभी का अपना महत्व और महिमा है।
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