हिंदू धर्म में 12 ज्योतिर्लिंगो का बहुत महत्व है। कहा जाता है इन 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन मात्र से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इन द्वादश ज्योतिर्लिंगों में नौवां ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ या बाबा वैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर में है। इस स्थान को इसलिए भी पवित्र माना जाता है क्योंकि यहां शिव और सती दोनों का वास है। 51 शक्तिपीठों में शुमार जय दुर्गा शक्तिपीठ भी यहीं है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां पर सती का हृदय गिरा था। इसलिए देवी के इस पावन धाम को ‘हृदयपीठ’ भी कहते हैं। बाबा वैद्यनाथ के धाम पर स्थित इस पावन शक्तिपीठ पर पहले माता की फिर बाबा वैद्यनाथ की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन व पूजन से रोगों से मुक्ति मिलती है। इस ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा रावण से जुड़ी है। जानते हैं मंदिर से जुड़े इतिहास और इसकी प्रमुख बातें...
बैद्यनाथ धाम से जुड़ी पौराणिक कथा
बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा वैसे तो कई पुराणों में मिलती है। लेकिन शिव पुराण में इसके बारें में विस्तारपूर्वक बताया गया है। जिसके अनुसार बैद्यनाथ धाम की कथा हमें त्रेता युग में ले जाती है। जहां लंकापति रावण भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए एक के बाद एक अपनी सर की बलि देकर शिवलिंग पर चढ़ा रहे थे, एक-एक कर दशानन रावण ने भगवान के शिवलिंग पर 9 सिर काट कर चढ़ा दिए, जब दसवें सिर की बारी आई तो महादेव प्रसन्न होकर प्रकट हो गए। जैसे ही भगवान शिव प्रकट हुए रावण के दसों सिर पहले जैसे हो गए। चूंकी भगवान शिव ने रावण को ठीक किया था और एक वैद्य के रूप में उपचार किया, इसलिए उन्हें 'वैद्य' के नाम से जाना जाता है। वैद्य एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है 'चिकित्सक’ इसलिए इस मंदिर का नाम वैद्यनाथ धाम पड़ा। इसके बाद भगवान शिव ने रावण से वरदान मांगने को कहा। रावण ने भगवान शिव से आग्रह किया कि मुझे शिवलिंग को लंका में स्थापित करने की अनुमति प्रदान करें। ये सुनकर भगवान शिव ने रावण के सामने एक शर्त रख दी, उन्होंने कहा- अगर तुमने लंका पहुंचने के पहले शिवलिंग को जमीन पर रख दिया तो यह जमीन से जुड़ जाएगा। और वहां से किसी से नहीं उठ पाएगा। रावण इस बात पर सहमत हो गया। और वहां से लंका के लिए रवाना हो गया। देवी-देवता भगवान शिव के इस निर्णय से खुश नहीं थे, वे जानते थे कि अगर शिव रावण के साथ लंका गए, तो वह अजेय हो जाएगा और उसके बुरे कर्मों से दुनिया खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने भगवान विष्णु से अनुरोध किया कि वे राक्षस राज रावण को शिवलिंग को लंका ले जाने से रोकें। देवताओं के आग्रह को स्वीकार कर भगवान विष्णू ने गंगा को आदेश दिया कि वे रावण के शरीर में प्रवेश कर जाएं। मां गंगा के रावण के शरीर में प्रवेश करते ही रावण को रास्ते में जोर की लघुशंका लगने लगी, इसी बीच भगवान विष्णु वहां एक चरवाहे के रूप में प्रकट हो गए, लघुशंका लगने के कारण रावण धरती पर उतर गया और चरवाहे के रूप में खड़े भगवान विष्णु के हाथों में शिवलिंग देकर कहा कि इसे जबतक में लघु शंका कर वापस नहीं लौट आता तब तक ये शिवलिंग जमीन पर मत रखना। दूसरी तरफ शिवलिंग के रूप में मौजूद भगवान शिव अपना भार बढ़ाने लगे और चरवाहे ने उसे जमीन पर रख दिया। लघुशंका करने के उपरांत जब रावण अपने हाथ धोने के लिए पानी खोजने लगा तो उसे कहीं जल नहीं मिला। रावण ने अपने अंगूठे से धरती के एक भाग को दबाकर पानी निकाल दिया जिसे आज शिवगंगा के रूप में जाना जाता है। शिव गंगा में हाथ धोने के बाद जब रावण धरती पर रखे गए शिवलिंग को उखाड़ कर अपने साथ लंका ले जाने की कोशिश करता है तो वो ऐसा करने असमर्थ हो जाता है। इसके बाद आवेश में आकर वह शिवलिंग को धरती में दबा देता है जिस कारण बैद्यनाथ धाम स्थित भगवान शिव की स्थापित शिवलिंग का छोटा सा भाग ही धरती के ऊपर दिखता है, इसे रावणेश्वर बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग के नाम से भी जाना जाता है। इसके बाद स्वयं भगवान विष्णु ने वहां शिवलिंग की स्थापना की।
बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग का इतिहास
बाबा बैद्यनाथ मंदिर का इतिहास एक हजार साल से भी ज्यादा पुराना है। ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार, मंदिर का निर्माण मूल रूप से नागवंशी राजवंश के पूर्वज पूरन मल ने 8वीं शताब्दी में करवाया था। हालांकि, सदियों से मंदिर में कई जीर्णोद्धार और विस्तार हुए हैं, माना जाता है कि वर्तमान संरचना का निर्माण 16वीं शताब्दी में राजा मान सिंह ने करवाया था।
बैद्यनाथ धाम मंदिर परिसर से जुड़ी प्रमुख बातें
वैद्यनाथ धाम मंदिर के मध्य प्रांगण में शिव का भव्य 72 फीट ऊंचा मंदिर है जिसमें एक घंटा, एक चंद्रकूप और मंदिर में प्रवेश के लिए एक विशाल सिंह दरवाजा बना हुआ है। शिवलिंग का ऊपरी हिस्सा हल्का सा टूटा हुआ है, जिसके बारे में बताया जाता है कि जब रावण इसे जड़ से उखाड़ने की कोशिश कर रहा था, तब यह टूट गया था। पार्वती जी का मंदिर शिव जी के मंदिर से जुड़ा हुआ है। प्रांगण में अन्य 21 मंदिर स्थापित हैं। मंदिर के नजदीक शिवगंगा झील है। मंदिर की वास्तुकला नागर और द्रविड़ सहित विभिन्न शैलियों के मिश्रण को दर्शाती है, जो इसके डिजाइन को आकार देने वाले विविध सांस्कृतिक प्रभावों को प्रदर्शित करती है।
बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग में दर्शन और आरती का समय
बाबा बैद्यनाथ मंदिर रोजाना सुबह 4 बजे खुलता है। सुबह 4:00 बजे से 5:30 बजे तक मंदिर में बाबा बैद्यनाथ की षोडशोपचार पूजा और आरती होती है। इसके बाद सुबह 5:30 बजे से दोपहर के 3:30 बजे तक भक्त दर्शन कर सकते हैं। साढ़े तीन बजे मंदिर बंद हो जाता है जो शाम 6:30 बजे खुलता है। रात में ये मंदिर 9:30 बजे तक खुला रहता है। शाम 07:30 बजे से 08:10 बजे तक मंदिर में बाबा की श्रंगार पूजा और आरती होती है।
बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग या देवघर घूमने का सबसे अच्छा मौसम
देवघर में गर्मीयों में जाने से बहुत ज्यादा समस्या हो सकती हैं, गर्मियों में ये क्षेत्र बहुत अधिक तपता है। इसलिए मानसून और सर्दी देवघर घूमने के लिए अच्छा समय है, जब मौसम ठंडा और बाहरी गतिविधियों के लिए आरामदायक होता है। मानसून के दौरान और श्रावण (अगस्त) में, देवघर में घरेलू पर्यटकों की भारी भीड़ होती है। श्रावन माह के अवसर पर हर साल लाखों श्रद्धालु इस पवित्र जगह की यात्रा करते हैं। जुलाई से अगस्त तक के बीच चलने वाले श्रावण मेले में दूर-दूर से देश-विदेश के श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं।
बैद्यनाथ धाम या देवघर कैसे पहुंचे?
देश की राजधानी दिल्ली से बैद्यनाथ धाम की दूरी लगभग 1087 किमी है।
हवाई मार्ग से- अगर आप फ्लाइट से बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग दर्शन करने जाना चाहते हैं, तो बता दें कि मंदिर के सबसे पास का एयरपोर्ट देवघर (डीजीएच) है, जो मंदिर से 5.3 किलोमीटर दूर है। देवघर एयरपोर्ट को बाबा बैद्यनाथ एयरपोर्ट के रूप में भी जाना जाता है। आसपास के अन्य हवाई अड्डों में काजी नजरूल इस्लाम (111.6 किमी) और रांची (191.3 किमी) है। यहां से आप स्थानीय वाहन बुक करके मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग से- ट्रेन से भी आप यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। जसीडीह जंक्शन- देवघर मंदिर से 7 किलोमीटर दूर है। वहीं देवघर रेलवे स्टेशन करीव 3 किलोमीटर और वैद्यनाथ धाम रेलवे स्टेशन 2 किलोमीटर दूर है। देश के कई हिस्सों से रोजाना कई ट्रेनें इन रेलवे स्टेशनों से होकर गुजरती है।
सड़क मार्ग से- बैद्यनाथ धाम आप आसानी से अपनी कार, प्राइवेट टैक्सी, प्राइवेट या सरकारी बस से भी जा सकते हैं। सबसे पास का बस स्टैंड देवघर बस स्टैंड है, जो बैद्यनाथ धाम मंदिर से महज 2 किलोमीटर दूर है। झारखंड राज्य सड़क परिवहन निगम लिमिटेड, पश्चिम बंगाल राज्य सड़क परिवहन निगम लिमिटेड समेत कई प्राइवेट बसें यहां के लिए रोजाना चलती है। खासतौर से पटना, गया और रांची से देवघर के लिए नियमित रूप से बसें यहां के लिए चलती हैं।
बैद्यनाथ धाम ज्योतिर्लिंग के आसपास घूमने की जगह
बैद्यनाथ धाम के आसपास कई धार्मिक और पर्यटन स्थल हैं। जहां आप स्थानीय कैब या टैक्सी से आसानी से पहुंच सकते हैं और देवघर को एक्सप्लोर कर सकते हैं। इन पर्यटन स्थलों के नाम हैं...
तिरकुट पर्वत
डोलमंच
कुंडेश्वरी
नौलखा मंदिर
बासुकीनाथ मंदिर
बैजू मंदिर
मां शीतला मंदिर
नंदन पहाड़
नवलखा मंदिर
इन Hotels में कर सकते हैं स्टे-
Hotel Satyam Palace
Hotel Ganga Palace
The Vaishnavi
Girija Sunrise
Hotel Chinta Haran Rest House