अखाड़ों को महाकुंभ की शान माना जाता है। इनके बिना कुंभ अधूरा है। आम तौर पर अखाड़ों में पुरुष और महिला संत होते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किन्नरों का एक अपना अखाड़ा है। जी हां 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना हुई थी। ट्रांसजेंडर्स के हकों के लिए लड़ने वाली आचार्य लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने इसकी स्थापना की थी। इस दौरान उन्हें मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों का कड़ा विरोध भी झेलना पड़ा था। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी था। बाद में जूना अखाड़े के उप अखाड़े के रूप में इसे मान्यता मिली।। आज किन्नर अखाड़े में हजारों की संख्या में संत हैं, वहीं इसके कई मठ भी है। किन्नर अखाड़ा कुंभ में भी स्नान करता है। चलिए आज आपको किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के बारे में बताते हैं।
लेकिन सबसे पहले जानिए महामंडलेश्वर का पद क्या होता है। महामंडलेश्वर का पद अखाड़ों में सबसे ऊंचा और सम्मानित होता है। वे अखाड़े के सर्वोच्च गुरु और मार्गदर्शक होते हैं। उनका कार्य धर्म और आध्यात्म के मार्गदर्शन के साथ-साथ अखाड़े का नेतृत्व करना होता है।
किन्नर अखाड़े की प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का जन्म 13 दिसंबर 1978 को महाराष्ट्र के ठाणे में हुआ था। समाज में किन्नर समुदाय के साथ हो रहे भेदभाव को देखते हुए उन्होंने 2007 में लक्ष्मी ने एक नॉन प्रॉफिट संस्था शुरू की, जिसका मुख्य उद्देश्य ट्रांसजेंडर को उनका अधिकार दिलाना था। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने थर्ड जेंडर को मान्यता दी।
लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी कई टीवी शोज में नजर आ चुकी हैं। उन्होंने बिग बॉस 5 के अलावा सच का सामना, 10 का दम, राज पिछले जन्म का भी किया है। इसके अलावा उन्होंने अक्षय कुमार की फिल्म लक्ष्मी को भी बतौर ब्रांड एंबेसडर सपोर्ट किया था। साथ ही इस फिल्म की ब्रांडिंग भी की थी।
किन्नर अखाड़े के साधु संत सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव है। खुद प्रमुख लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के फेसबुक पर 1 लाख से ज्यादा और इंस्टाग्राम पर 80 हजार से ज्यादा फॉलोअर्स हैं। इसी तरह किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि, कल्याणी नंद गिरि, मोहनी नंद गिरि के अलावा पवित्रा नंद आदि के लाखों फॉलोअर्स हैं।
प्रयागराज में बहुत जल्द महाकुंभ का आगाज होने वाला है। इसकी शुरुआत 13 जनवरी 2025 से होगी वहीं इसका समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा।
महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 को प्रयागराज में पौष पूर्णिमा स्नान से होने वाली है और यह 26 जनवरी तक चलेगा। बता दें कि इस साल लगने वाला महाकुंभ होगा वो 144 साल बाद लग रहा है।
सनातन धर्म की परंपराओं के अनुसार, कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान करना और पूजा-अर्चना करना महत्वपूर्ण माना जाता है। महाकुंभ के अवसर पर देश-विदेश से श्रद्धालु पवित्र नदी में स्नान करने के लिए आते हैं।
फरवरी साल का दूसरा और सबसे छोटा महीना है। इसमें 28 दिन होते हैं, लेकिन लीप वर्ष में यह 29 दिन का होता है। यह महीना कई संस्कृतियों में विभिन्न कारणों से महत्वपूर्ण होता है। फरवरी सर्दी के मौसम के अंत और वसंत के आगमन का संकेत देता है।