घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र (Grishneshwar Jyotirlinga, Maharashtra)

दर्शन समय

4 AM - 10 PM

यहां स्थित है भगवान शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग, दर्शन से पूरी होती है संतान सुख की कामना


12 ज्योतिर्लिंग में सबसे आखिरी घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम आता है। घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र में मौजूद है। भारत के हर कोने में एक ज्योतिर्लिंग बसा हुआ है जिसमें सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में है। हर ज्योतिर्लिंग का अपना ही महत्व है। अन्य ज्योतिर्लिंग की तरह घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भी शिव भक्तों के लिए बेहद ही खास और पवित्र है। बता दें कि 

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भोलेनाथ की अपार भक्त रही घुष्मा की भक्ति का प्रतीक है। कहा जाता है कि घुष्मा की भक्ति को देखकर भगवान बहुत ही खुश हुए थे और उसी स्थान पर प्रकट भी हुए थे, जहां आज की तारीख में घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थापित है।


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास काफी रोचक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कब हुआ इसके बारे में लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यह कहा जाता है कि घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का अंतिम जीर्णोद्धार 18 वीं शताब्दी में देवी अहिल्याबाई होल्कर ने करवाया था। हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं है। 


हर मुराद होती है पूरी


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में यह मान्यता है कि यह आखिरी ज्योतिर्लिंग है। पौराणिक मान्यता के अनुसार यहां जो भी सच्चे मन से दर्शन करता है उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। शिवरात्रि और महाशिवरात्रि के मौके पर यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती हैं। इसके अलावा सावन के महीने में भी यहां हर दिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। 


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे


घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का निकटतम रेलवे स्टेशन औरंगाबाद रेलवे स्टेशन है। आप रेलवे स्टेशन से टैक्सी या कैब लेकर आसानी से घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पहुंच सकते हैं।

समय : सुबह 04:00 बजे से रात्रि  10:00 बजे तक

डिसक्लेमर

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