हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत का विशेष महत्व है। नवंबर माह की शिवरात्रि मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ती है, और यह दिन भोलेनाथ को प्रसन्न करने का उत्तम अवसर है। शिव भक्त इस दिन विशेष मंत्रों का जाप करते हैं, जिनमें "शिव नमस्काराथा मंत्र" सबसे महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इस मंत्र का जाप व्यक्ति के जीवन की सभी बाधाओं को समाप्त करता है। तो आइए जानते हैं इस मंत्र और इसकी विधि के बारे में विस्तार से।
शिव नमस्काराथा मंत्र
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमः शिवाय
ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय,
हिरण्यपतए अंबिका पतए उमापतए पशूपतए नमो नमः
ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय,
हिरण्यपतए अंबिका पतए उमापतए पशूपतए नमो नमः
ॐ नमो हिरण्यबाहवे हिरण्यवर्णाय हिरण्यरूपाय,
हिरण्यपतए अंबिका पतए उमापतए पशूपतए नमो नमः
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्,
ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवोमें अस्तु सदा शिवोम्
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्,
ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवोमें अस्तु सदा शिवोम्
ईशान सर्वविद्यानाम् ईश्वर सर्व भूतानाम्,
ब्रह्मादीपते ब्रह्मनोदिपते ब्रह्मा शिवोमें अस्तु सदा शिवोम्
तत्पुरुषाय विद्महे वागविशुद्धाय धिमहे तन्नो शिव प्रचोदयात्,
महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धिमहे तन्नों शिव प्रचोदयात्,
तन्नों शिवम् प्रचोदयात्
नमस्ते अस्तु भगवन विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय,
त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय,
सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन महादेवाय नमः
नमस्ते अस्तु भगवन विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय,
त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय,
सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन महादेवाय नमः
सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन महादेवाय नमः
नमस्ते अस्तु भगवन विश्वेश्वराय महादेवाय त्र्यंबकाय त्रिपुरान्तकाय,
त्रिकाग्नी कालाय कालाग्नी रुद्राय नीलकंठाय मृत्युंजयाय,
सर्वेश्वराय सदाशिवाय श्रीमन महादेवाय नमः
श्रीमन महादेवाय नमः
श्रीमन महादेवाय नमः
ॐ शांति शांति शांति
मासिक शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित एक विशेष दिन है। यह दिन उनकी आराधना और कृपा प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। शिव पुराण में कहा गया है कि इस दिन व्रत करने और शिवजी का ध्यान करने से भक्तों के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मनोकामना पूर्ति: इस दिन भगवान शिव की पूजा करने और नमस्काराथा मंत्र का जाप करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
सौभाग्य में वृद्धि: यह दिन सौभाग्य, धन-धान्य और समृद्धि का प्रतीक है।
रोग और बाधाओं से मुक्ति: शिवजी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याएं और रोग समाप्त हो जाते हैं।
यह मंत्र भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। यह मंत्र उनके विभिन्न रूपों और शक्तियों को समर्पित है। इसका जाप करने से भक्त को मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और जीवन की कठिनाइयों से छुटकारा मिलता है।
इस मंत्र का नियमित जाप आर्थिक समृद्धि लाता है।
इस मंत्र के प्रभाव से शारीरिक और मानसिक रोग समाप्त होते हैं।
भगवान शिव की कृपा से जीवन में सुख-शांति और सौभाग्य आता है।
इसके जाप वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
1. पाठ का समय: मासिक शिवरात्रि पर सुबह ब्रह्ममुहूर्त या प्रदोष काल में यह मंत्र जपना सबसे उत्तम है। शिवलिंग के सामने बैठकर या मंदिर में पूजा करते समय मंत्र का उच्चारण करें।
2. जाप विधि: स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें। भगवान शिव का ध्यान करें और "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हुए दीपक जलाएं। शिवलिंग पर जल, दूध, गंगाजल, और बेलपत्र चढ़ाएं। और नमस्काराथा मंत्र का जाप करें।
3. जाप की संख्या: इस मंत्र को कम से कम 11 बार और अधिकतम 108 बार जपें। अगर समय हो, तो पूरे दिन "ॐ नमः शिवाय" का स्मरण करते रहें।
1. शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर जाप करें।
2. मन को एकाग्र रखें और भगवान शिव का ध्यान करें।
3. शिवलिंग पर चढ़ाए गए फूल, जल या प्रसाद को किसी अपवित्र स्थान पर न रखें।
1. शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं।
2. बेलपत्र, धतूरा, और आक के फूल अर्पित करें।
3. शिव तांडव स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
4. भक्तिपूर्वक "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते रहें।
महाकुंभ 2025 का इंतजार खत्म होने को है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से इस भव्य आयोजन की शुरुआत होगी, जो 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पावन स्नान के साथ संपन्न होगा। संगम में पुण्य की डुबकी लगाने के लिए करोड़ों श्रद्धालु उमड़ेंगे। इस ऐतिहासिक आयोजन को सुगम बनाने के लिए सरकार ने रेल, बस और हवाई सेवाओं को और सशक्त किया है।
साल 2025 आ चुका है और इंतजार की घड़ियां अब खत्म होने वाली हैं, क्योंकि महाकुंभ मेला 2025 का आयोजन कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। यह धार्मिक उत्सव 12 साल बाद एक बार फिर प्रयागराज में होगा, जहां देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुंचने की उम्मीद है।
जनवरी से कुंभ स्नान और मेला शुरू होने जा रहा है, खास बात यह है कि यह 'महाकुंभ' है, जिसका मुहूर्त 144 साल बाद आ रहा है। अनुमान है कि इस विशाल आयोजन में करीब 40 करोड़ श्रद्धालु शामिल होंगे।
महाकुंभ की शुरुआत में अब कुछ ही समय बाकी है, और इसमें शाही स्नान का महत्व अत्यधिक है। 12 साल में एक बार होने वाला यह महाकुंभ, न केवल शरीर की शुद्धि के लिए बल्कि आत्मिक उन्नति के लिए भी एक खास अवसर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, शाही स्नान से व्यक्ति के सभी पाप और कष्ट नष्ट हो जाते हैं, और देवी-देवता भी इस समय धरती पर आते हैं।