शनिवार का दिन हिंदू धर्म में विशेष रूप से शनि देव की उपासना के लिए जाना जाता है। यह दिन कर्मफलदाता शनि देव को समर्पित होता है, जो हमारे अच्छे-बुरे कर्मों का फल देते हैं। यदि किसी की कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या चल रही हो, तो शनिवार के दिन विशेष उपाय और मंत्र जाप से शनि की कृपा पाई जा सकती है। ऐसे में आइए जानते हैं शनिवार के मंत्र...
शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वे व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर दंड या पुरस्कार देते हैं। शनिदेव की दृष्टि बहुत तीव्र मानी जाती है, इसलिए इन्हें शांत रखने के लिए विशेष पूजा की जाती है। शनिवार को व्रत रखने, तेल का दान करने और मंत्रों का जाप करने से शनि दोषों से राहत मिलती है।
शनि बीज मंत्र
मंत्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
इस मंत्र का जाप शनिवार के दिन 108 बार करने से शनि की दशा से राहत मिलती है। यह मन को स्थिर करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है।
शनि गायत्री मंत्र
मंत्र: ॐ कृष्णांङ्गाय विद्महे, रवि पुत्राय धीमहि। तन्नः सौरिः प्रचोदयात्॥
इस मंत्र का जाप शनि से जुड़ी बाधाओं को कम करता है और शुभ फल की प्राप्ति होती है
दशरथ राजा द्वारा रचित यह स्तोत्र शनिदेव को प्रसन्न करने का एक अद्भुत उपाय है। इसका पाठ नियमित रूप से शनिवार को करना लाभकारी माना जाता है।
माना जाता है कि हनुमान जी के परम भक्त होने के कारण, शनिदेव हनुमान जी से डरते हैं। इसलिए शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करने से शनि की पीड़ा से राहत मिलती है।
शनि महामंत्र
ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
शनि का पौराणिक मंत्र
ऊँ श्रां श्रीं श्रूं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ हलृशं शनिदेवाय नमः।
ऊँ एं हलृ श्रीं शनैश्चाराय नमः।
ऊँ मन्दाय नमः।।
ऊँ सूर्य पुत्राय नमः।।
शनि का वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
शनि दोष निवारण मंत्र
ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।शंयोरभिश्रवन्तु नः।
ऊँ शं शनैश्चराय नमः।।
अच्छे स्वास्थ्य हेतु शनि मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
तांत्रिक शनि मंत्र
ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।
क्षमा हेतु शनि मंत्र
अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेहर्निशं मया।
दासोयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वर।।
गतं पापं गतं दु: खं गतं दारिद्रय मेव च।
आगता: सुख-संपत्ति पुण्योहं तव दर्शनात्।।
नए साल 2025 की शुरुआत होने वाली है और हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। साथ ही एकादशी का व्रत रखा जाता है जो साधक की हर मनोकामना पूरी करने और पृथ्वी लोक पर स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति करने में मदद करता है।
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है।
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है।
हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र संस्कार माना जाता है जो दो लोगों के साथ-साथ दो परिवारों को भी जोड़ता है। वैदिक शास्त्रों में कहा गया है कि शादी एक पवित्र रिश्ता है और इसे हमेशा शुभ समय पर किया जाना चाहिए। विवाह के लिए शुभ समय और तारीख का निर्धारण करना महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है।