नवीनतम लेख
ॐ सूर्याय नमः
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकरः
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
ॐ घृणि सूर्याय नमः
ॐ घृणि सूर्य्यः आदित्यः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय,
मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।