नोएडा के सेक्टर 22 के बालक नाथ मंदिर की सन् 1989 के सफल उद्घाटन के बाद, श्री शिव शक्ति सिद्ध श्री बाबा बालक नाथ वेलफेयर सोसायटी ने नोएडा के दूसरे बालक नाथ जी मंदिर की स्थापना वर्ष 2009 में की। सेक्टर 71 के इस मंदिर को सिद्ध श्री बाबा बालक नाथ जी के नाम से भी जाना जाता है।
हर साल 16 फरवरी को मंदिर का स्थापना दिवस मनाया जाता है। ये समारोह बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिर में महिलाओं को बाबा जी की धूनी के पास जाने की अनुमति नहीं है। इसलिए महिलाएं दीर्घा से दर्शन प्राप्त करती है।
बाबा बालक नाथ जी की कहानी बाबा बालक नाथ कथा में पढ़ी जा सकती है। मान्यता है कि बाबा जी का जन्म सभी युगों में हुआ जैसे सतयुग, त्रेतायुग और वर्तमान में कलयुग और हर युग में उनको अलग-अलग नामों से जाना गया जैसे सतयुग में स्कन्द, त्रेता युग में कौल और द्वापर युग में महाकौल के नाम से जाने गये। अपने हर अवतार में उन्होंने गरीब एवं असहाय की सहायता करके उनके दुख दर्द और तकलीफों का नाश किया। हर एक जन्म में यह शिव के बड़े भक्त कहलाए।
द्वापर युग में महाकौल जिस समय कैलाश पर्वत जा रहे थे, जाते हुए रास्ते में उनकी मुलाकात एक वृद्ध स्त्री से हुई, उसने बाबा जी से गंतव्य में जाने का रास्ता पूछा, जब वृद्ध स्त्री को बाबाजी की इच्छा का पता लगा कि वह भगवान शिव से मिलने जा रहे हैं, जो उसने उन्हें मानसरोवर नदी के किनारे तपस्या करने की सलाह दी और माता पार्वती से उन तक पहुंचने पहुंचने का उपाय पूछने के लिए कहा। बाबाजी ने वैसा ही किया और अपने उद्देश्य से मिलने में सफल हुए। बालयोगी महाकौल को देखकर शिवजी बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने बाबा जी को कलयुग तक भक्तों के बीच सिद्ध प्रतीक के तौर पर पूजे जाने का आशीर्वाद दिया और चिर आयु तक उनकी छवि को बालक की छवि के तौर पर बने रहने का भी आशीर्वाद दिया।
हवाई मार्ग - यहां का निकटतम हवाई अड्डा दिल्ली का इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट है। यहां से आप नोएडा पहुंचने के लिए टैक्सी या मेट्रो के द्वारा पहुंच सकते हैं।
रेल मार्ग- यहां पहुंचने के लिए दिल्ली रेलवे स्टेशन, निजामुद्दीन सभी पास है। स्टेशन से आप टैक्सी के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग - नोएडा पहुंचने के लिए सभी सड़क मार्ग सही है। आप कहीं से भी नोएडा पहुंच सकते हैं।
छठ का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में इस त्योहार का खास महत्व है। छठ का महापर्व छठी माता और सूर्य देव को समर्पित है।
चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाले छठ पर्व को 'चैती छठ' और कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाए जाने वाले पर्व को 'कार्तिकी छठ' कहा जाता है। ये पर्व पारिवारिक सुख-समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 30 मार्च से हो रही है और 6 अप्रैल 2025 को रामनवमी के साथ समाप्त होगी। साथ ही, 7 अप्रैल को नवरात्रि का पारण किया जाएगा।
चैत्र माह में आने वाली छठ को चैती छठ के नाम से जाना जाता है। इस बार चैत्र छठ एक अप्रैल से शुरू होगी, जो तीन अप्रैल को संध्या अर्घ्य और चार अप्रैल को उषा अर्घ्य के साथ गुरुवार को समाप्त होगी।