बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुन मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥
रंग रंगीला फागुन मेला,
सारे खाटू धाम चलो,
सारे खाटू धाम चलो,
लेकर के निशान हाथ में,
तुम बाबा की ओर बढ़ो,
तुम बाबा की ओर बढ़ो,
इस फागुन में हल्ला थोड़ा,
और होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुण मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥
खाटू वाला इस मेले में,
सब पे प्यार लुटायेगा,
सब पे प्यार लुटायेगा,
‘शुभम रूपम’ भक्तों के संग में,
वो भी रंग उड़ायेगा,
वो भी रंग उड़ायेगा,
श्याम धणी के जयकारे का,
जोर होना चाहिए,
बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुण मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥
बात हमारी बड़े पते की,
गौर होना चाहिये,
आ गया फागुन मेला,
अब तो शोर होना चाहिये,
बात हमारी बड़े पते की ॥
मां छिन्नमस्ता, जिन्हें तंत्र साहित्य में दस महाविद्याओं में तीसरे स्थान पर रखा गया है, वह मां पार्वती का उग्र रूप मानी जाती हैं। उनकी उत्पत्ति की कथा अत्यंत रहस्यमय है, जो भक्तों को त्याग, बलिदान और आत्मरक्षा की दिशा में प्रेरित करती है।
झारखंड राज्य के रामगढ़ जिले में स्थित रजरप्पा का छिन्नमस्तिका देवी मंदिर एक अद्भुत शक्तिपीठ है, जहां बिना सिर वाली देवी की पूजा की जाती है। यह मंदिर तांत्रिक विद्या के लिए भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह स्थान विशेष और रहस्यमय महत्व रखता है।
कूर्म जयंती, भगवान विष्णु के दूसरे अवतार कूर्म ‘कछुए’ के रूप में प्रकट होने की तिथि है। इस साल कूर्म जयंती 12 मई, सोमवार को मनाई जाएगी। यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु के भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का विशेष धार्मिक महत्व है। इस दिन भगवान श्री विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा से समृद्धि, संतान सुख और सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा का व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है।