आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
हारे ये नैनो के तार,
ओझल नजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
फितरत ज़माने की,
बड़ी ही बेगैरत है,
कोई नही यार,
तू ही हमारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
जाऊं किस डगर पे मुझको,
नसीहत तो दीजिए,
छाया है अंधकार,
करना उजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
रहमत की अपनी थोड़ी,
वसीयत तो कीजिये,
कहलाते दातार,
भरा भंडारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
‘निर्मल’ की रूह से तो,
पूछ करके देखिए,
दूजा मिले ना सार,
श्याम ही गवारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
आ जाओ सरकार,
दिल ने पुकारा है,
हारे ये नैनो के तार,
ओझल नजारा है,
आ जाओं सरकार,
दिल ने पुकारा है ॥
हिंदू धर्म में 16 संस्कारों का विशेष महत्व है और उनमें नौवां संस्कार है कर्णवेध। यह संस्कार बच्चे के कान छिदवाने का समय होता है जो सामान्यतः 1 से 5 वर्ष की उम्र में किया जाता है।
नई दुकान खोलना एक महत्वपूर्ण कदम है जिसमें आपके भविष्य की सफलता और समृद्धि की नींव रखी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, किसी भी नए उद्यम की शुरुआत करने से पहले शुभ मुहूर्त और तिथि का चयन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हिंदू धर्म की समृद्ध परंपरा में "सोलह संस्कार" का महत्वपूर्ण स्थान है, जो जीवन के हर महत्वपूर्ण पड़ाव को दिशा देते हैं। इन संस्कारों में से एक है अन्नप्राशन, जब बच्चा पहली बार ठोस आहार का स्वाद लेता है।
उपनयन संस्कार, जिसे जनेऊ संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में 16 संस्कारों में से 10वां संस्कार है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है।