आ रही है पालकी,
भोलेनाथ शम्भू महाकाल की,
हार फूल धूप बत्ती,
हाथ में है थाल प्रसाद,
शम्भू महाकाल की,
आ रही हैं पालकी,
भोलेनाथ शम्भू महाकाल की ॥
हाथी घोड़े आगे बाजे बैंड बाजे,
देखी झांकी कमाल की,
कोई भूत कोई भोले,
आते जाते हर एक बोले,
जय शम्भू महाकाल की,
साँस चढती आस बढ़ती,
दर्शनों की ललक,
शंभू महाकाल की,
आ जाये सुकून धडकनौ को,
जो दिखे सवारी की झलक,
शम्भू महाकाल की ॥
दुख घटेंगैं सुख बढ़ेंगे,
अपने भक्तों के भरेंगे घाव,
महाकाल जी,
किरपा की तिरपाल रहती,
हैं ये पूरे साल सर पर,
महाकाल की,
जितनी नजर मिले,
उतनी मिले नजर,
महाकाल की,
करम है भरम है,
जीवन में भरे रंग है,
इक नजर मेरे महाकाल की ॥
आ रही है पालकी,
भोलेनाथ शम्भू महाकाल की,
हार फूल धूप बत्ती,
हाथ में है थाल प्रसाद,
शम्भू महाकाल की,
आ रही हैं पालकी,
भोलेनाथ शम्भू महाकाल की ॥
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भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला ऋषि पंचमी पर्व हमारे जीवन में पवित्रता और ज्ञान का संगम है।
हिंदू धर्म में व्रत रखना एक महत्वपूर्ण परंपरा है। ये हमें अपने जीवन को सुधारने और आध्यात्म से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है साथ ही हमारे शरीर का संतुलन भी बना रहता है।
Skanda Sashti 2024: भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 08 सितंबर को रात 07 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं इस तिथि का समापन 09 सितंबर को रात 09 बजकर 53 मिनट पर होगा। ऐसे में स्कंद षष्ठी का पर्व 09 सितंबर को मनाया जाएगा।