आदि अंत मेरा है राम,
उन बिन और सकल बेकाम ॥
कहा करूं तेरा बेद पुराना,
जिन है सकल जगत भरमाना ॥
कहा करूं तेरी अनुभै बानी,
जिनमें तेरी सुद्धि भुलानी ॥
कहा करूं ये मान बड़ाई,
राम बिना सबही दुखदाई ॥
कहा करूं तेरा सांख व जोग,
राम बिना सब बंधन रोग ॥
कहा करूं दंद्रिन का सुक्ख,
राम बिना देवा सब दुक्ख ॥
दरिया कहै राम गुरू मुखिया,
हरि बिनु दुखी राम सँग सुखिया ॥
घर आये राम लखन और सीता,
अयोध्या सुन्दर सज गई रे,
घर घर बधाई बाजे रे देखो,
घर घर बधाई बाजे रे,
घर में पधारो गजाननजी,
मेरे घर में पधारो
गौरी के पुत्र गणेश जी,
मेरे घर में पधारो ॥