धूम मचाने आ जइयो आई होली सावरिया,
होली सावरिया आई होली सावरिया,
खेले सावरिया होली खेले सावरिया,
आके रंग जमा जइयो आई होली सावरिया ॥
ग्वालो की टोली संग गोपिया बुलाई है,
राधा जैसी गोरी गोरी सखियां भी आई है,
सामने तो छलिया तू आके दिखा,
आई होली सावरिया ॥
ढोल नगाड़ा और चंग बजायेंगे,
मुरली की धुन पर रास रचायेंगे,
ताल से ताल मिला ले जरा,
आई होली सावरिया ॥
मलेंगे गुलाल तेरे मारे पिचकारी,
आज न चलेगी कोई चाल तुम्हारी,
इतनी अकड़ न तो हमको दिखा,
आई होली सावरिया ॥
तेरे बिना श्याम सुनी सुनी लागे,
मोहन कौशिक और हरीश गुण गाके,
भक्तो के संग जरा नच के दिखा,
आई होली सावरिया ॥
जो लोग अखाड़ों के बारे में नहीं जानते, उन्हें यह जानकर हैरानी हो सकती है कि नागा साधु कई प्रकार के होते हैं। खूनी नागा, खिचड़िया नागा, बर्फानी नागा और नागा। नागाओं को लेकर तमाम तरह की कहानियां भी प्रचलित हैं, जो श्रद्धालुओं को काफ़ी हैरान करते हैं।
भारत की आध्यात्मिक संस्कृति में नागा साधु एक विशेष स्थान रखते हैं। आपने कुंभ मेले में इन्हें शाही स्नान करते, युद्ध कला का प्रदर्शन करते और परंपरागत तरीके से जीवन जीते हुए जरूर देखा होगा। इनकी जड़ें भारतीय सनातन धर्म में गहराई तक फैली हुई हैं। ये अनुशासन, संयम और साधना के लिए विख्यात हैं।
भारतीय ज्योतिष में भविष्यफल जातक की चंद्र राशि के आधार पर ही निर्धारित की जाती है। मन के साथ-साथ चंद्रमा को माता का कारक ग्रह भी माना जाता है। चंद्रमा राशि चक्र की चतुर्थ राशि यानि कर्क राशि के स्वामी माने जाते हैं।
अखाड़े महाकुंभ की शान होते हैं। इन्हें देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु कुंभ मेले में पहुंचते हैं। अखाड़ा परिषद ने कुल 13 अखाड़ों को मान्यता दे रखी है। यह अखाड़े बड़े लोकप्रिय और प्रसिद्ध है। इनमें आम तौर पर महिला संत और पुरुष संत होते हैं।