आनंद ही आनंद बरस रहा (aanand-hi-aanand-baras-raha)

आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।

आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


धन भाग्य हमारे आज हुए

शुभ दर्शन ऐसे सद्गुरु के ।

पावन कीनी भारत भूमि

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


क्या रूप अनुपम पायो है

जैसे तारो बीच है चंदा ।

सुरत मूरत मोहन वारी

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


क्या ज्ञान छटा है जैसे इंद्र घटा

बरसत वाणी अमृतधारा ।

वो मधुरी मधुरी अजब धुनी

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


गुरु ज्ञान रूपी जल बरसाकर

गुरु धर्म बगीचा लगा दिया ।

गुरु नाम रूपी जल बरसाकर

गुरु प्रेम बगीचा लगा दिया ।

खिल रही है कैसी फुलवारी

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ॥


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।

आनंद ही आनंद बरस रहा

बलिहारी ऐसे सद्गुरु की ।


पाया पाया पाया,

मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।

मेरे रघुवर कीपा किन्हीं

मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।


पाया पाया पाया,

मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।

मेरे रघुवर कीपा किन्हीं

मेने ऐसा सद्गुरु पाया ।


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दुःख की बदली, जब जब मुझ पे छा गई(Dukh Ki Badli Jab Jab Mujhpe Cha Gayi )

दुःख की बदली,
जब जब मुझ पे छा गई,

जहाँ राम की चर्चा होती, आता बजरंग बाला (Jahan Ram Ki Charcha Hoti Aata Bajrang Bala)

जहाँ राम की चर्चा होती,
आता बजरंग बाला,

भाद्रपद शुक्ल की वामन एकादशी (Bhadrapad Shukal Ke Vaman Ekadashi )

इतनी कथा सुनकर पाण्डुनन्दन ने कहा- भगवन्! अब आप कृपा कर मुझे भाद्र शुक्ल एकादशी के माहात्म्य की कथा सुनाइये और यह भी बतलाइये कि इस एकादशी का देवता कौन है और इसकी पूजा की क्या विधि है?

चंदा सिर पर है जिनके शिव (Chanda Sir Par Hai Jinke Shiv)

चंदा सिर पर है जिनके,
कानो में कुण्डल चमके,

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