आउंगी आउंगी मैं अगले,
बरस फिर आउंगी,
लाऊंगी लाऊंगी तेरी,
लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥
माता ओ माता,
पहाड़ो वाली माता ॥
तेरी महिमा सुनते है,
तेरी महिमा गाते है,
आँख में आंसू लाते है,
मोती लेकर जाते है ॥
आउंगी आउंगी मैं अगले,
बरस फिर आउंगी,
लाऊंगी लाऊंगी तेरी,
लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥
पर्वत पे है डेरा,
ऊँचा मंदिर तेरा,
तेरी शरण में आके,
जागा जीवन मेरा,
जय शेरावाली दी,
जय मेहरवाली दी,
जय मातारानी दी ॥
माता ओ माता,
पहाड़ो वाली माता ॥
मन में है तेरी भक्ति,
हम जाने तेरी शक्ति,
दुःख क्या है दुःख छाया,
भी हमको छू नहीं सकती ॥
जितनी शक्तिशाली,
उतनी ही तू भोली,
बिन मांगे ही तूने,
भर दी मेरी झोली ॥
जय शेरावाली दी,
जय मेहरवाली दी,
जय मातारानी दी ॥
आउंगी आउंगी मै अगले,
बरस फिर आउंगी,
लाऊंगी लाऊंगी तेरी,
लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥
तन पूजा की थाली,
सामग्री है मन की,
माँ तेरे चरणों में,
भेंट ये निर्धन की,
जय भवना वाली दी,
जय छतरा वाली दी,
जय माता रानी दी ॥
आउंगी आउंगी मै अगले,
बरस फिर आउंगी,
लाऊंगी लाऊंगी तेरी,
लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥
तेरी महिमा सुनते है,
तेरी महिमा गाते है,
आँख में आंसू लाते है,
मोती लेकर जाते है ॥
आउंगी आउंगी मै अगले,
बरस फिर आउंगी,
लाऊंगी लाऊंगी तेरी,
लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥
माता ओ माता,
पहाड़ो वाली माता ॥
सनातन धर्म में अग्नि देवता को देवताओं का मुख माना जाता है। वे देवताओं और मनुष्यों के बीच एक संदेशवाहक भी माने जाते हैं। अग्नि देवता यज्ञों के देवता भी हैं।
भगवान कार्तिकेय को सुब्रमण्यम, कार्तिकेयन, स्कंद और मुरुगन जैसे नामों से जाना जाता है। वे शक्ति और विजय के देवता हैं। उनकी आराधना से जीवन में सुख-समृद्धि, सफलता और सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
मेरे हृदये करो परवेश जी,
मेरे काटो सकल कलेश जी ॥
मेरे कंठ बसो महारानी,
ना मैं जानू पूजा तेरी,