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आउंगी आउंगी मै अगले, बरस फिर आउंगी (Aaungi Aaungi Main Agle Baras Phir Aaungi)

आउंगी आउंगी मै अगले, बरस फिर आउंगी (Aaungi Aaungi Main Agle Baras Phir Aaungi)

आउंगी आउंगी मैं अगले,

बरस फिर आउंगी,

लाऊंगी लाऊंगी तेरी,

लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥


माता ओ माता,

पहाड़ो वाली माता ॥


तेरी महिमा सुनते है,

तेरी महिमा गाते है,

आँख में आंसू लाते है,

मोती लेकर जाते है ॥


आउंगी आउंगी मैं अगले,

बरस फिर आउंगी,

लाऊंगी लाऊंगी तेरी,

लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥


पर्वत पे है डेरा,

ऊँचा मंदिर तेरा,

तेरी शरण में आके,

जागा जीवन मेरा,

जय शेरावाली दी,

जय मेहरवाली दी,

जय मातारानी दी ॥


माता ओ माता,

पहाड़ो वाली माता ॥


मन में है तेरी भक्ति,

हम जाने तेरी शक्ति,

दुःख क्या है दुःख छाया,

भी हमको छू नहीं सकती ॥


जितनी शक्तिशाली,

उतनी ही तू भोली,

बिन मांगे ही तूने,

भर दी मेरी झोली ॥


जय शेरावाली दी,

जय मेहरवाली दी,

जय मातारानी दी ॥


आउंगी आउंगी मै अगले,

बरस फिर आउंगी,

लाऊंगी लाऊंगी तेरी,

लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥


तन पूजा की थाली,

सामग्री है मन की,

माँ तेरे चरणों में,

भेंट ये निर्धन की,

जय भवना वाली दी,

जय छतरा वाली दी,

जय माता रानी दी ॥


आउंगी आउंगी मै अगले,

बरस फिर आउंगी,

लाऊंगी लाऊंगी तेरी,

लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥


तेरी महिमा सुनते है,

तेरी महिमा गाते है,

आँख में आंसू लाते है,

मोती लेकर जाते है ॥


आउंगी आउंगी मै अगले,

बरस फिर आउंगी,

लाऊंगी लाऊंगी तेरी,

लाल चुनरियाँ लाऊंगी ॥


माता ओ माता,

पहाड़ो वाली माता ॥

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सकट चौथ पर चांद की पूजा क्यों होती है

हिंदू धर्म में सकट चौथ का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश और सकट माता की पूजा-अर्चना की जाती है।

माघ में कब है कालाष्टमी व्रत

सनातन हिंदू धर्म में माघ महीने को अत्यंत पवित्र सौभाग्यशाली और भाग्य वर्धक माना जाता है। इस पवित्र महीने में धार्मिक कार्य, व्रत, दान एवं पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है।

कालाष्टमी व्रत के उपाय

माघ माह की शुरुआत मकर संक्रांति के दिन से होती है। इस महीने पड़ने वाली कालाष्टमी पर्व का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इस दिन भगवान शिव के उग्र रूप, काल भैरव की पूजा होती है।

सकट चौथ व्रत कथा

सकट चौथ पर भगवान गणेश की पूजा के साथ-साथ व्रत कथा का पाठ करना भी अनिवार्य माना जाता है। ऐसा करने से व्रतधारी को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और उसके जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं।

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