नवीनतम लेख
आयी बरसाने वाली है आयी,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
देखो टोली है सखियों के संग में,
छाई मस्ती है हर अंग अंग में,
राधा कान्हा को देख मुस्काई,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
कैसा प्यारा लगे ये नज़ारा,
श्याम राधे को करते इशारा,
देखो राधे रानी शरमाई,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
राधे नाच नाच श्याम को रिझाए,
कान्हा मुरली जो होंठो से लगाए,
राधा रानी की सुध बिसराई,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
श्याम अलबेला रास रचाए,
सारे गोकुल को संग में नचाए,
कहे ‘पवन’ क्या माया रचाई,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
आयी बरसाने वाली है आयी,
रास रचते है कृष्ण कन्हाई ॥
........................................................................................................'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।