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अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार (Ab Saump Diya Is Jeevan Ka, Sab Bhar)

अब सौंप दिया इस जीवन का, सब भार (Ab Saump Diya Is Jeevan Ka, Sab Bhar)

अब सौंप दिया इस जीवन का,

सब भार तुम्हारे हाथों में,

है जीत तुम्हारे हाथों में,

और हार तुम्हारे हाथों में ॥


मेरा निश्चय है बस एक यही,

एक बार तुम्हे पा जाऊं मैं,

अर्पण करदूँ दुनिया भर का,

सब प्यार तुम्हारे हाथों में ॥


जो जग में रहूँ तो ऐसे रहूँ,

जैसे जल में कमल का फूल रहे,

मेरे सब गुण दोष समर्पित हों,

करतार तुम्हारे हाथों में ॥


यदि मानव का मुझे जन्म मिले,

तो तेरे चरणों का पुजारी बनूँ,

इस पूजा की एक एक रग का,

हो तार तुम्हारे हाथों में ॥


जब जब संसार का कैदी बनू,

निष्काम भाव से कऱम करूँ,

फिर अंत समय में प्राण तजूं,

निराकार तुम्हारे हाथों में ॥


मुझ में तुझ में बस भेद यही,

मैं नर हूँ तुम नारायण हो,

मैं हूँ संसार के हाथों में,

संसार तुम्हारे हाथों में ॥


अब सौंप दिया इस जीवन का,

सब भार तुम्हारे हाथों में,

है जीत तुम्हारे हाथों में,

और हार तुम्हारे हाथों में ॥

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महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान

शाही स्नान कुंभ मेले का प्रमुख आकर्षण है। इसके लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु और साधु संत महाकुंभ वाली जगह इकट्ठे होते हैं। इस दौरान सबसे पहले अखाड़ों के साधु-संत, विशेष रूप से नागा साधु, पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।

पूजा में क्यों करते हैं अक्षत का प्रयोग

अक्षत यानी कि पीले चावल। हिंदू धर्म में अक्षत को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। इसे पूजा-पाठ में मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है। बिना खंडित हुए चावल को अक्षत कहते हैं। यह पूजा में इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पवित्रता, समृद्धि और अखंडता का प्रतीक माना जाता है। पूजा-पाठ अक्षत के बिना अधूरा माना जाता है। यह पूजा का विशेष सामग्री है।

शनिवार को तेल दान क्यों किया जाता है?

हिंदू धर्म में शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है। शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है और उनकी कृपा पाने के लिए भक्त विभिन्न प्रकार के उपाय करते हैं। इनमें से एक प्रमुख उपाय है शनिवार के दिन शनिदेव को तेल चढ़ाना है।

घर में मोर पंख क्यों रखा जाता है?

हिंदू धर्म में मोर पंख का सबसे प्रसिद्ध संबंध भगवान श्री कृष्ण से है। श्री कृष्ण के मुकुट में मोर पंख सजे होते थे। इसे उनके सौंदर्य और दिव्यत्व का प्रतीक माना जाता है। कुछ शास्त्रों के अनुसार, मोर पंख भगवान कृष्ण के साथ जुड़ा हुआ है क्योंकि वह मोर के प्रिय हैं और मोरपंख उनके संगीत और नृत्य के प्रतीक के रूप में दिखता है।

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