आजा माँ तेनु अखियां उडीकदीयां।
अखियां उडीकदीयां, दिल वाजा मारदा॥
॥ आजा माँ तेनु ...॥
तेरे बिना कौन तेरे लाल को संभाले माँ,
आके एक बार मुझे गले से लगाले माँ।
दुःख इंतज़ार दा, दिल नहीं सहारदा,
अखियां उडीकदीयां, दिल वाजा मारदा॥
॥ आजा माँ तेनु ...॥
दरस दिखा के मेरे सारे दुःख टालदे,
भिक्षा दया की मेरी झोली मे डाल दे।
प्यासा हूँ प्यार दा, तेरे दीदार दा,
अखियां उडीकदीयां, दिल वाजा मारदा॥
॥ आजा माँ तेनु ...॥
आजा माँ तेनु अखियां उडीकदीयां।
अखियां उडीकदीयां, दिल वाजा मारदा॥
फाल्गुन अमावस्या का दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए इस अमावस्या से बेहतर दिन ही नहीं है। इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
हिंदू धर्म में अपना एक कैलेंडर है, जिसके मुताबिक हर 15 दिन में अमावस्या और 15 दिन बाद पूर्णिमा आती है। कुछ ही दिनों बाद 27 फरवरी को फाल्गुन महीने की अमावस्या आने वाली है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला अपने अंतिम दिनों में है। 144 साल में बने संयोग में स्नान करने के लिए रोजाना लाखों की संख्या में श्रद्धालु संगम पहुंच रहे हैं। इस कारण ट्रेन और बसों में भी बड़ी संख्या में भीड़ देखने मिल रही है।
फाल्गुन अमावस्या का दिन पितृों को समर्पित होता है। इस दिन उनका पिंडदान करना चाहिए। इस दिन से जुड़ी कई कथाएं भी है।