आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..: भजन (Ajaa Nand Ke Dulare)

आजाआ... ओओओ...

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..

रोवे अकेली मीरा..आ..

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..

रोवे अकेली मीरा..आ..


बालक सी न ब्याह करवाया

तेरे संग ब्याही हो..हो..

पिहर छोड़ सासरे आगी

लदी कुल क शाही हो..हो.. ॥

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..॥


रोम रोम मे रम होया से..

नही रोम टेन न्यारा हो

दुष्टों का संघार किया

बन्यां भक्तो का तू प्यारा हो.. ॥

रोम रोम मे रम होया से.. ॥


जंग जोवे अकेली मीरा..आ.. ॥

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो.. ॥


आदम देह के चोले संग

दूत रहें सयम हो.. हो..

सतरंग सेज बिछा रखी से

लगे गाळीचे गम के हो..हो.. ॥

आदम देह के चोले संग ॥


सोवे अकेली मीरा..आ.. ॥

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो.. ॥


माँगेराम राम ने टोहेवे

कोन्यों पाया दर पे हो..हो..

लख़मिचंद सुरग मे जालिये

फेर भी बोझा सिर पे हो..हो..॥

माँगेराम राम ने टोहेवे ॥


ढोवे अकेली मीरा..आ.. ॥

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो.. ॥


आजाआ... ओओओ...

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..

रोवे अकेली मीरा..आ..

आजा.. नंद के दुलारे हो..हो..

रोवे अकेली मीरा..आ..


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कब से लागल आस पुराइल,
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर करें चालीसा पाठ

मार्गशीर्ष पूर्णिमा इस वर्ष 15 दिसंबर को मनाई जा रही है। यह पर्व हिन्दू धर्म में लक्ष्मीनारायण की पूजा का एक पवित्र और शुभ अवसर है।

प्रदोष व्रत क्यों रखा जाता है?

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। दरअसल, यह व्रत देवाधिदेव महादेव शिव को ही समर्पित है। प्रदोष व्रत हर माह में दो बार, शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है।

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