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अनमोल तेरा जीवन, यूँ ही गँवा रहा है (Anmol Tera Jeevan Yuhi Ganwa Raha Hai)

अनमोल तेरा जीवन, यूँ ही गँवा रहा है (Anmol Tera Jeevan Yuhi Ganwa Raha Hai)

अनमोल तेरा जीवन,

यूँ ही गँवा रहा है,

किस ओर तेरी मंजिल,

किस ओर जा रहा है,

अनमोल तेंरा जीवन,

यूँ ही गँवा रहा है ॥


सपनो की नींद में ही,

यह रात ढल न जाये,

पल भर का क्या भरोसा,

कही जान निकल ना जाये,

गिनती की है ये साँसे,

यूँ ही लुटा रहा है ।


किस ओर तेरी मंजिल,

किस ओर जा रहा है,

अनमोल तेंरा जीवन,

यूँ ही गँवा रहा है ॥


जायेगा जब यहाँ से,

कोई ना साथ देगा,

इस हाथ जो दिया है,

उस हाथ जा के लेगा,

कर्मो की है ये खेती,

फल आज पा रहा है ।


किस ओर तेरी मंजिल,

किस ओर जा रहा है,

अनमोल तेंरा जीवन,

यूँ ही गँवा रहा है ॥


ममता के बन्धनों ने,

क्यों आज तुझको घेरा,

सुख में सभी है साथी,

कोई नहीं है तेरा,

तेरा ही मोह तुझको,

कब से रुला रहा है ।


किस ओर तेरी मंजिल,

किस ओर जा रहा है,

अनमोल तेंरा जीवन,

यूँ ही गँवा रहा है ॥


जब तक है भेद मन में,

भगवान से जुदा है,

खोलो जो दिल का दर्पण,

इस घर में ही खुदा है,

सुख रूप हो के भी तू,

दुःख आज पा रहा है ।


किस ओर तेरी मंजिल,

किस ओर जा रहा है,

अनमोल तेंरा जीवन,

यूँ ही गँवा रहा है ॥


अनमोल तेरा जीवन,

यूँ ही गँवा रहा है,

किस ओर तेरी मंजिल,

किस ओर जा रहा है,

अनमोल तेंरा जीवन,

यूँ ही गँवा रहा है ॥

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सिर पर फसल उगाकर तपस्या करने वाले बाबा

महाकुंभ में देश के कोने-कोने से धर्मगुरु और साधु-संत एकत्र हुए हैं। इस विशाल मेले में हर दिन कोई न कोई ऐसा अद्भुत दृश्य दिखाई देता है जो लोगों को आश्चर्यचकित कर देता है।

महाकुंभ में 7 फुट लंबी जटाओं वाले बाबा

प्रयागराज का महाकुंभ हमेशा से ही अद्भुत दृश्यों और आध्यात्मिक अनुभवों का केंद्र रहा है। इस बार भी महाकुंभ ने लोगों को हैरान करते हुए कई अनोखे किस्से दिए हैं। आईआईटी से पढ़े बाबा को देखा और यूट्यूबर की चिमटे और मोर पंख से पिटाई भी देखी।

कौन होते हैं जंगम साधु

आस्था की संगम नगरी प्रयागराज इस समय महाकुंभ के रंग में पूरी तरह रंगी हुई है। 13 जनवरी से शुरू हुए इस महाकुंभ के लिए भारत के विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत भव्य पेशवाई के साथ महाकुंभ नगर में प्रवेश कर चुके हैं।

महाकुंभ में आया मात्र 8 साल का नागा संन्यासी

प्रयागराज का महाकुंभ अपने आप में एक अद्भुत नजारा है। लाखों श्रद्धालुओं के साथ-साथ, हजारों साधु-संत भी यहां आते हैं। इनमें नागा साधुओं का अपना ही महत्व है। इनका कठोर तप और त्याग सभी को प्रेरित करता है।

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