बधैया बाजे आँगने में (Badhaiya Baje Angane Mein)

बधैया बाजे आँगने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


चंद्रमुखी मृगनयनी अवध की,

तोड़त ताने रागने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


प्रेम भरी प्रमदागन नाचे,

नूपुर बाँधे पायने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


न्योछावर श्री राम लला जु,

नहिं कोऊ लाजत माँगने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


सियाअली यह कौतुक देखत,

बीती रजनी जागने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥


बधैया बाजे आँगने में,

बधैया बाजे आँगने मे ॥

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अक्षय तृतीया पर विशेष योग

अक्षय तृतीया का पर्व हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त के किया जा सकता है और उसका फल अक्षय होता है, अर्थात् कभी नष्ट नहीं होता।

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र (Gajendr Moksh Stotr )

एवं व्यवसितो बुद्ध्या समाधाय मनो हृदि।

मेरी मैया तेरे दरबार ये, दीवाने आए है (Meri Maiya Tere Darbar Ye Diwane Aaye Hai)

मेरी मैया तेरे दरबार ये,
दीवाने आए है,

जयति तेऽधिकं जन्मना (Jayati Te Dhikam Janmana)

जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः
श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि ।

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