बैठ नजदीक तू मेरी माँ के, हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी (Baith Nazdik Tu Meri Maa Ke Har Kadi Dil Ki Judne Lagegi)

बैठ नजदीक तू मेरी माँ के,

हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी,

देख नजरो से नजरे मिला के,

तुझसे बाते वो करने लगेगी ॥


ये है भूखी तेरी भावना की,

ये है प्यासी तेरे प्रेम रस की,

नंगे पैरो ही दौड़ी वो आती,

अपने भक्तो को दिल में माँ रखती,

प्रेम जितना तू इससे बढ़ाए,

उतना तेरी तरफ ये बढ़ेगी,

देख नजरो से नजरे मिला के,

तुझसे बाते वो करने लगेगी,

बैठ नजदीक तू मेरी मां के,

हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी ॥


पास में बैठ कर मेरी माँ के,

अपने दिल की हकीकत सुनाओ,

एक टक तुम छवि को निहारो,

कोई प्यारा भजन तुम सुनाओ,

भाव जागेंगे तेरे ह्रदय में,

मन की हर एक कली खिल उठेगी,

देख नजरो से नजरे मिला के,

तुझसे बाते वो करने लगेगी,

बैठ नजदीक तू मेरी मां के,

हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी ॥


होगी आँखों ही आँखों में बातें,

खूब समझोगे माँ के इशारे,

देगी निर्देश तुझको ये मैया,

बनते जाओगे तुम इसके प्यारे,

इसके कहने पे जब तुम चलोगे,

सारी दुनिया में इज्जत बढ़ेगी,

देख नजरो से नजरे मिला के,

तुझसे बाते वो करने लगेगी,

बैठ नजदीक तू मेरी मां के,

हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी ॥


मैया से प्यार जिसने किया है,

स्वाद जीवन का उसने लिया है,

जिसने नजदीकियां है बढ़ाई,

उसने मस्ती का प्याला पिया है,

इनके चरणों में आकर लिपट जा,

जिंदगानी महकने लगेगी,

देख नजरो से नजरे मिला के,

तुझसे बाते वो करने लगेगी,

बैठ नजदीक तू मेरी मां के,

हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी ॥


बैठ नजदीक तू मेरी माँ के,

हर कड़ी दिल की जुड़ने लगेगी,

देख नजरो से नजरे मिला के,

तुझसे बाते वो करने लगेगी ॥

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मेरो मॅन लग्यॉ बरसाने मे (Mero Man Lagyo Barsane Mei Jaha Viraje Radharani)

बोलो राधे राधे, बोलो श्यामा श्यामा
बोलो राधे राधे, बोलो श्यामा श्यामा

अंजनीसुत केसरी नंदन ने (Anjani Sut Kesari Nandan Ne)

अंजनीसुत केसरी नंदन ने,
श्री राम के कारज सारे है,

उत्पन्ना एकादशी के नियम

उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। उत्पन्ना एकादशी की उत्पत्ति का उल्लेख प्राचीन भविष्योत्तर पुराण में मिलता है, जहां भगवान विष्णु और युधिष्ठिर के बीच एक महत्वपूर्ण संवाद में इसका वर्णन किया गया है।

करवा चौथ व्रत कथा (Karva Chauth Vrat Katha)

एक साहूकार था जिसके सात बेटे और एक बेटी थी। सातों भाई व बहन एक साथ बैठकर भोजन करते थे। एक दिन कार्तिक की चौथ का व्रत आया तो भाई बोला कि बहन आओ भोजन करें।

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