राधिका गोरी से बिरज की छोरी से,
मैया करादे मेरो ब्याह
उम्र तेरी छोटी है, नज़र तेरी खोटी है,
कैसे करादू तेरो ब्याह
जो नहीं ब्याह कराये, तेरी गैया नहीं चराऊ
आज के बाद मेरी मैया तेरी देहली पर न आऊँ
आएगा रे मज़्ज़ा रे मज़्ज़ा अब जीत हार का
॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से...॥
चन्दन की चौकी पर मैया तुझको बिठाऊँ
अपनी राधा से मैं चरण तेरे दबवाऊं
भोजन मैं बनवाऊंगा बनवाऊंगा, छप्पन प्रकार के
॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से...॥
छोटी सी दुल्हनिया जब अंगना में डोलेगी
तेरे सामने मैया वो घूँघट न खोलेगी
दाऊ से जा कहो जा कहो बैठेंगे द्वार पे
॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से...॥
सुन बातें कान्हा की मैया बैठी मुस्काएं
लेके बलैयां मैया हिवडे से अपने लगाये
नज़र कहीं लग जाये न लग जाये न मेरे लाल को
॥ राधिका गोरी से बिरज की छोरी से...॥
राधिका गोरी से बिराज की छोरी से
कान्हा कारादू तेरो बियाह
सीता के राम थे रखवाले,
जब हरण हुआ तब कोई नहीं ॥
हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है। हर त्योहार अपनी पौराणिक कथाओं और परंपराओं के कारण अद्वितीय स्थान रखता है। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है 'अन्वाधान’, जिसे वैष्णव सम्प्रदाय विशेष रूप से मनाता है।
सीताराम सीताराम जपाकर
राम राम राम राम रटा कर
सीता राम जी के आरती उतारूँ ए सखी
केकरा के राम बबुआ केकरा के लछुमन