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बम बम भोला, पहना सन्यासी चोला (Bam Bam Bhola Pahna Sanyasi Chola)

बम बम भोला, पहना सन्यासी चोला (Bam Bam Bhola Pahna Sanyasi Chola)

बम बम बम बम बम भोला,

पहना सन्यासी चोला,

कांधे झोला अनमोला डाल के,

दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥


देव गणों से विदा मांग शिव,

गोकुल नगरी आए,

माता यशोदा के द्वारे पर,

शिव ने अलख जगाए,

सुनके मैया ना देर लगाई,

दौड़ी दरवाजे आई,

थाली मोतियन भर लाई माल के,

दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥


ना चाहिए तेरे हीरे मोती,

ना चाहिए तेरी माया,

छोड़ कर पर्वत आया मेरी मैया,

अपने लाल के दरस करा दे,

छोड़कर पर्वत आया,

मैया पूरे भए तेरे सपने,

मैं भी अब जाऊं तपने,

दर्शन करवा दे अपने लाल के,

दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥


रंग है तेरा काला पीला,

शक्ल भयंकर भारी,

लाल मेरो डर के दहलावे,

अभी उमर है बाली,

जोगी कैसे लाला दिखलाऊं,

मन में मैं अत घबराऊं,

पाले क्यों कर पड़वाऊं काल के,

दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥


तू तो यशोदा भई बावरी,

क्यों मन में घबरावे मेरी मैया,

ता को हुकम बजावे मेरी मैया,

तीनलोक को नाथ काल भी,

ता को हुकम बजावे री मैया,

नाथ त्रिलोक कहाए,

तेने ही गोद खिलाए,

अक्षर क्या शुभ लिखवाए भाल के,

दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥


कान आवाज पड़ी मोहन के,

शिव द्वारे पर आए,

छोड़ के पलना चले कन्हैया,

घुटवन घुटवन धाये,

आकर दोनों ने नैन मिलाएं,

मन ही मन मैं मुस्काए,

महिमा के भेद बताएं हाल के,

दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥


बम बम बम बम बम भोला,

पहना सन्यासी चोला,

कांधे झोला अनमोला डाल के,

दर्शन करने चले हैं नंदलाल के ॥

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फाल्गुन महीना दुर्गा अष्टमी

प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि मां दुर्गा को समर्पित है। इस शुभ तिथि पर जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा-भक्ति की जाती है। साथ ही अष्टमी का व्रत रखा जाता है।

आमलकी एकादशी कब मनाई जाएगी

पंचांग के अनुसार, हर महीने में दो एकादशी पड़ती हैं और साल में कुल 24 एकादशी पड़ती हैं। इन सभी एकादशी तिथियों का विशेष महत्व होता है।

आमलकी एकादशी पूजा विधि

फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी पर आमलकी एकादशी का व्रत किया जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु के साथ-साथ आंवले के पेड़ की पूजा का भी विशेष महत्व है।

आमलकी एकादशी पौराणिक कथा

फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को आमलकी के अलावा आंवला एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार इस दिन आंवले पेड़ की उत्तपति हुई थी।

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