बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
कब से खोजूं बनवारी को,
बनवारी को, गिरिधारी को।
कोई बता दे उसका पता,
मेरो मन है गयो लटा पटा॥
॥ बांके बिहारी की देख छटा...॥
मोर मुकुट श्यामल तन धारी,
कर मुरली अधरन सजी प्यारी।
कमर में बांदे पीला पटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा॥
॥ बांके बिहारी की देख छटा...॥
पनिया भरन यमुना तट आई,
बीच में मिल गए कृष्ण कन्हाई।
फोड़ दियो पानी को घटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा॥
॥ बांके बिहारी की देख छटा...॥
टेडी नज़रें लत घुंघराली,
मार रही मेरे दिल पे कटारी।
और श्याम वरन जैसे कारी घटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा॥
॥ बांके बिहारी की देख छटा...॥
मिलते हैं उसे बांके बिहारी,
बांके बिहारी, सनेह बिहारी।
राधे राधे जिस ने रटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा॥
॥ बांके बिहारी की देख छटा...॥
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
जय शीतला माता, मैया जय शीतला माता।
आदि ज्योति महारानी, सब फल की दाता॥
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥
ॐ जय गङ्गाधर हर, जय गिरिजाधीशा।
त्वं मां पालय नित्यं, कृपया जगदीशा॥